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बकरीद पर स्वाइन फ्लू का प्रकोप, गले मिलकर नहीं दूर से ही मुबारकबाद देने अपील

यूपी की योगी सरकार ने सख्त आदेश दिया है कि कोई भी गले मिलकर या हाथ मिलाकार ईद-उल-जुहा की मुबारकबाद नहीं देगा।

नई दिल्लीSep 02, 2017 / 05:58 am

Chandra Prakash

eid
नई दिल्ली। इस्लाम धर्म में साल में दो बार ईद मनाई जाती है। आज पूरे देश में ईद-उल-जुहा मनाया जा रहा है। हर बार मुस्लिम समुदाय के लोग एक दूसरे से गले मिलकर ईद की मुबारकबाद देते हैं, लेकिन इसबार यूपी में नजारा कुछ बदला बदला रहने वाला है। यूपी की योगी सरकार ने सख्त आदेश दिया है कि कोई भी गले मिलकर या हाथ मिलाकार ईद-उल-जुहा की मुबारकबाद नहीं देगा।

स्वाइन फ्लू से बचने के लिए अपील
योगी सरकार के इस फैसले के पीछे की वजह स्वाइन फ्लू। कुछ मुस्लिम संगठनों ने भी इस तरह की अपील जारी की है। जिसके मुताबिक नमाज के बाद गले न मिलकर सिर्फ सलाम करके ही एक दूसरे को मुबारकबाद दें। यह अपील स्वाइन फ्लू जैसी गंभीर संक्रमण को रोकने के लिए की गई है।

क्यों मनाया जाता है ईद-उल-जुहा
बता दें कि ईद-उल-जुहा का अरबी में मतलब कुरबानी की ईद, यह इस्लाम धर्म में विश्वास करने वाले लोगों का एक प्रमुख त्यौहार है। रमजान के पवित्र महीने की समाप्ति के लगभग 70 दिनों बाद इसे मनाया जाता है। इस्लामिक मान्यता के अनुसार हजरत इब्राहिम अपने पुत्र हजरत इस्माइल को इसी दिन खुदा के हुक्म पर खुदा कि राह में कुर्बान करने जा रहे थे, तो अल्लाह ने उसके पुत्र को जीवनदान दे दिया जिसकी याद में यह पर्व मनाया जाता है। ईद उल अजहा का अर्थ त्याग वाली ईद है । इस दिन जानवर की कुर्बानी देना एक प्रकार की प्रतीकात्मक कुर्बानी है। हज और उसके साथ जुड़ी हुई पद्धति हजरत इब्राहीम और उनके परिबार द्वारा किए गये कार्यो को प्रतीकात्मक तौर पर दोहराने का नाम है। ईद उल अजहा के दो शंन्देश है पहला परिवार के बड़े सदस्य को स्वार्थ के परे देखना चाहिए और खुद को मानव उत्थान के लिए लगाना चाहिए, ईद उल अजहा यह याद दिलाता है कि कैसे एक छोटे से परिवार में एक नया अध्याय लिखा गया।

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