आपको बता दें कि राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने 21 नवम्बर को राज्य विधानसभा भंग कर दी थी। विधानसभा भंग होने के बाद नए चुनाव छह माह के भीतर कराने होते हैं। जम्मू कश्मीर के लिए यह समय सीमा अगले वर्ष 21 मई है।
फरवरी से मार्च के पहले हफ्ते में स्कूलों की परीक्षाएं आयोजित की जा रही हैं। ऐसे में चुनाव आयोग के पास मार्च के बाद अप्रेल और मई की वक्त है जिसमें उसे चुनाव करवाने होंगे। इसी वक्त में लोकसभा चुनाव भी प्रस्तावित हैं। ऐसे में मुमकिन है कि आयोग दोनों चुनाव एक साथ करवा दे। जम्मू कश्मीर विधानसभा का कार्यकाल छह वर्ष का होता है जबकि अन्य विधानसभाओं और लोकसभा का कार्यकाल पांच वर्ष का होता है।
पिछले हफ्ते पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती ने नेशनल कांफ्रेंस और कांग्रेस के समर्थन से सरकार बनाने का दावा पेश किया था। उन्होंने 87 सदस्यीय सदन में कुल 56 विधायकों के समर्थन का दावा किया था। लेकिन महबूबा के दावा पेश करने के तुरंत बाद राज्यपाल मलिक ने विधानसभा भंग कर दी। दो सदस्यों वाली पीपुल्स कांफ्रेंस के सज्जाद लोन ने भी सरकार बनाने का दावा पेश किया था।
लोन ने भारतीय जनता पार्टी और अन्य पार्टियों के 18 विधायकों के समर्थन से यह दावा पेश किया था। पीडीपी के साथ भाजपा ने अपना गठबंधन समाप्त कर लिया था, इसके बाद राज्य में जून से राज्यपाल शासन लागू था।