बेंगलुरु. कर्नाटक सरकार ने राज्य में मौजूद हाथियों को यूनिक आईडी नंबर देने का फैसला दिया है। यह नंबर आधार नंबर की तरह होगा। इसके लिए हर हाथी की चमड़ी में माइक्रो चिप लगाई जाएगी।
सही संख्या पता लगाने और शिकारियों से बचाने के लिए फैसला
इस नई योजना के दायरे में वन विभाग के हाथी और अन्य संगठनों व मंदिरों के अधीन पल रहे तमाम हाथी आएंगे। इतना ही नहीं, अगर किसी ने व्यक्तिगत तौर पर हाथी पाला हुआ है तो उस हाथी को भी चिप लगाकर नंबर दिया जाएगा। एक अधिकारी ने बताया कि ऐसा करने के पीछे मकसद हाथियों की सही संख्या का पता लगाना और उनकी झुंड में कायदे से पहचान करना है। अधिकारी ने बताया कि इससे हाथियों का शिकार करने वाले शिकारियों व तस्करों पर भी नजर रखी जाएगी। वन विभाग के उन अधिकारियों पर शिकंजा कसा जाएगा, जो तस्करों से मिलकर हाथियों को मारकर उनके दांत बेचते रहे हैं। चिप लगने से हर डाटा बेस बनेगा। हर हाथी की हलचल का भी पता लग सकेगा। निगारनी में आसानी रहेगी।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर फैसला
दरअसल, सुप्रीम कोर्ट के एक आदेश के बाद राज्य सरकार ने विशेष नंबर जारी करने का यह फैसला किया है। कोर्ट ने कहा था कि हाथियों की संख्या की सही पहचान के लिए चिप लगाई जानी चाहिए। इसके बाद नगरहोल, बांदीपुर, भिलीगिरी के वन क्षेत्रों में हाथियों को माइक्रोचिप लगाई गई। पशुओं के डॉक्टर डीएन नागराज बताते हैं कि कोर्ट के आदेश के बाद इन जगहों के हाथियों को माइक्रो चिप लगाने का शुरू किया था। अाधे से अधिक हाथियों को चिप के जरिये यूनिक आईडी नंबर दिया जा चुका है।
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