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EVM पर सवाल खड़े करने वालों को जवाब, 5 राज्यों के विधानसभा चुनावों में VVPAT टैली डेटा 100% सही

locationनई दिल्लीPublished: Jun 03, 2021 05:52:07 pm

Submitted by:

Anil Kumar

चुनाव आयोग (ECI) के एक अधिकारी ने कहा, “डेटा ईवीएम और वीवीपैट के बीच 100 प्रतिशत मिलान दिखाता है, जो इसकी सटीकता और प्रामाणिकता साबित करता है।

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EVM, VVPAT tally data shows 100 prescent match in recently concluded assembly elections

नई दिल्ली। इलेक्ट्रॉनिक वोटिंग मशीन (EVM) के साथ छेढ़छाड़ कर चुनावों को प्रभावित करने के आरोप लगते रहे हैं। हालांकि, अभी तक प्राणिक तौर पर कोई सबूत सामने नहीं आया है। इन लगते आरोपों के बीच वोटर वेरिफाएबल पेपर ऑडिट ट्रेल्स (VVPAT) का प्रयोग किया जा रहा है, ताकि इस बात का पता चल सके कि किसी मतदाता ने जिसे अपना वोट दिया है, वास्तव में उसी को गया है या नहीं।

अब इन आरोपों के बीच चुनाव आयोग के एक अधिकारी ने हाल में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों के लेकर एक बड़ी बात कही है। उन्होंने कहा कि पांच राज्यों में हुए संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में EVM और VVPAT का मिलान सौ फीसदी रहा है।

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भारत के चुनाव आयोग (ECI) के एक अधिकारी ने कहा, “डेटा ईवीएम और वीवीपैट के बीच 100 प्रतिशत मिलान दिखाता है, जो इसकी सटीकता और प्रामाणिकता साबित करता है। पांच राज्यों में हुए विधानसभा चुनावों में इन दो मशीनों के परिणाम इसकी प्रमाणिकता का पहले की तरह पुन: पुष्टि करता है।” बता दें हाल में पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और असम के अलावा केंद्र शासित राज्य पुडुचेरी में चुनाव संपन्न हुए हैं।

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पांच राज्यों के चुनाव में वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल

आपको बता दें कि चुनाव आयोग की हर इलेक्शन में कुछ सीटों पर वीवीपैट मशीन का इस्तेमाल करती है, ताकि इससे बाद में पता लगाया जा सके कि मतदाता ने जिसे वोट दिया उसी को वह वोट मिला है या नहीं। इस साल पांच राज्यों में संपन्न हुए विधानसभा चुनावों में भी चुनाव आयोग ने कुछ मतदान केंद्रों पर EVM के साथ VVPAT मशीन का इस्तेमाल किया था।

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पश्चिम बंगाल में 1492, तमिलनाडु में 1183, केरल में 728, असम में 647 और पुडुचेरी में 156 वीवीपैट मशीन लगाई गई थी। अब इन मशीनों द्वारा प्राप्त डेटा का विश्लेषण करने के बाद चुनाव आयोग ने कहा है कि EVM और VVPAT डेटा टैली 100 फीसदी सही है।

सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में दिया था आदेश

इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने अप्रैल 2019 में अपने आदेश में कहा था कि चुनाव आयोग की जिम्मेदारी है कि हर चुनावी क्षेत्र में पांच ईवीएम का वीवीपैट स्लिप मिलान करवाए। चूंकि 21 विपक्षी पार्टियों ने सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की थी, जिसमें ये मांग की गई थी कि वीवीपैट स्लिप की दोबारा जांच की जाए। नियम के अनुसार, वीवीपैट पर्चियों की संख्या और संबंधित ईवीएम की गिनती के बीच बेमेल होने की स्थिति में, वीवीपैट की गिनती ही मान्य होती है।

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क्या होता है वीवीपैट मशीन और कैसे करता है काम?

दरअसल, वीवीपैट ईवीएम के साथ लगी एक मशीन होती है, जो प्रिंटर की तरह काम करता है। यानी की जब कोई मतदाता ईवीएम पर अपना वोट देता है तो उसकी रसीद या पर्ची वीवीपैट से बाहर निकलता है, जिसमें पूरा विवरण होता है। इस पर्ची से मतदाता को मालूम चलता है कि उसने जिस उम्मीदवार को वोट दिया है, उसी को वोट गया है।

बता दें कि जब कोई मतदाता वोट डालता है तब वीवीपैट मशीन से एक पर्ची निकलती है। इस पर्ची में उम्मीदवार का नाम और चुनाव चिन्ह छपा होता है। वोट डालने के बाद वीवीपैट मशीन में लगे ग्लॉस वॉल से 7 सेकेंड तक आप इसे देख सकते हैं। इसके बाद यह पर्ची सीलबंद बॉक्स में गिर जाती है। इस पर्ची को मतदाताओं को नहीं दी जाती है। जब मतगणना होती है तब ईवीएम में पड़े वोटों और वीवीपैट की पर्ची से मिलान किया जाता है। इससे ये तय हो जाता है कि ईवीएम और वीवीपैट में एक समान वोट हैं और किसी प्रकार की कोई गड़बड़ी नहीं हुई है।

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