अब सवाल यह है कि इसमें कोई एक पक्ष तो है, जो इस वैश्विक महामारी को लेकर देश में चल रहे गंभीर हालात पर सच बोल रहा है और दूसरा झूठ। लेकिन इससे भी बड़ा सवाल यह है कि आखिर जो पक्ष झूठ बोल रहा है, वह आखिर ऐसा क्यों कर रहा? वह भी तब जब देश में कोरोनावायरस से संक्रमण के कुल मामले करीब 2 लाख तक पहुंच गए हैं। मंगलवार शाम तक स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से जारी आंकड़ों के मुताबिक, इस महामारी से देश में करीब 5,598 लोगों की मौत हो चुकी है। ये आंकड़े यह भी बताते हैं कि भारत में कोरोनावायरस के संक्रमण की स्थिति कितनी घातक हो चुकी है और वह फिलहाल टॉप-7 देशों में शामिल है।
सूत्रों की मानें तो इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की रिसर्च विंग और एम्स (AIIMS) के कुछ विशेषज्ञ डॉक्टरों के अलावा कई अन्य स्वास्थ्य विशेषज्ञ भी यह दावा कर रहे हैं कि देश में कोरोनावायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है। प्रधानमंत्री को जिन लोगों ने इस संबंध में पत्र लिखकर रिपोर्ट सौंपी है, उनमें इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (IAPSM) भारतीय लोक स्वास्थ्य संघ (IPHA) और भारतीय महामारीविद् संघ (IAE) के विशेषज्ञ शामिल हैं।
विशेषज्ञों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को जो रिपोर्ट सौंपी है, उसमें दावा किया जा रहा है कि कोविड-19 (Covid-19) पर काबू पाना अब अवास्तविक लग रहा है। देश की मध्यम और घनी आबादी वाले इलाकों में कोरोनावायरस के संक्रमण का कम्युनिटी ट्रांसमिशन शुरू हो चुका है, इसकी पुष्टि हो गई है। ऐसे में इस पर काबू पाना अब आसान नहीं दिख रहा।
प्रधानमंत्री को सौंपी अपनी रिपोर्ट में विशेषज्ञों ने दावा किया है कि देश में कम्युनिटी ट्रांसमिशन Lockdown-4 के दौरान बरती गई लापरवाही का नतीजा है। उनके मुताबिक, गत 24 मार्च से देशभर में विभिन्न चरणों में Lockdown लागू किए गए थे। इसका मकसद कोरोनावायरस जैसी वैश्विक महामारी का प्रसार रोकना और मैनेजमेंट के लिए प्रभावी योजना तैयार करना था, जिससे स्वास्थ्य सेवाएं प्रभावित नहीं हों। यह काफी हद तक संभव भी हो रहा था, लेकिन लोगों को हो रही दिक्कतों और अर्थव्यवस्था पर पड़ रहे बुरे प्रभाव को देखते हुए Lockdown के चौथे चरण में काफी छूट दी गई। यह छूट ही मध्यम और घनी आबादी वाले इलाकों में कम्युनिटी ट्रांसमिशन का प्रमुख कारण बना।
आपको बता दें कि कोविड टास्क फोर्स के तहत 16 सदस्यों का एक ग्रुप बनाया गया था। इसमें भारतीय लोक स्वास्थ्य संघ (IPHA) के अध्यक्ष और सीसीएम-एम्स के प्रोफेसर डॉ संजय के. राय, इंडियन एसोसिएशन ऑफ प्रिवेंटिव एंड सोशल मेडिसिन (IAPSM) के पूर्व अध्यक्ष और एम्स दिल्ली में सामुदायिक चिकित्सा केंद्र के प्रमुख डॉ शशिकांत, एसपीएच पीजीआईएमआर चंडीगढ़ के पूर्व प्रोफेसर डॉ राजेश कुमार और आईएमएस, बीएचयू के पूर्व प्रोफेसर डॉ डीसीएम रेड्डी प्रमुख रूप से शामिल हैं। विशेषज्ञों का दावा है कि कोरोनावायरस के संक्रमण से निपटने के उपायों और इस संबंध में निर्णय लेते समय उनकी अनदेखी करते हुए जरूरी सलाह नहीं ली गई।
विशेषज्ञों ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया है कि कोरोनावायरस को लेकर स्थिति बिगड़ चुकी है। साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को महामारीविद् विशेषज्ञों से सलाह लेनी चाहिए थी, क्योंकि उन्हें अन्य लोगों की तुलना में इसकी समझ ज्यादा थी। अगर सलाह लेकर उसे अमल में लाया गया होता तो कोरोना से लडऩे के उपाय और बेहतर किए जा सकते थे। उनका दावा है कि देश अभी मानवीय संकट और कोरोनावायरस जैसी महामारी के रूप में बड़ी कीमत चुका रहा है।
इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) की अलर्ट करती रिपोर्ट के मुताबिक, मार्च में कुछ दिनों तक दिनों तक देशभर में रैंडम सैंपल टेस्ट किए जा रहे थे। जांच रिपोर्ट आने के बाद ही यह साफ हुआ कि देश में कोरोनावायरस के संक्रमण का तीसरा चरण शुरू हो चुका है। बीते 14 मार्च को ICMR ने अपनी एक रिपोर्ट में दावा किया था कि जिन लोगों की कोविड-19 जांच की गई, उनकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव नहीं मिली। इसके बाद ही दूसरी पॉलिसी बनी कि एसएआरआई टेस्ट किया जाए। तब 15 मार्च से 21 मार्च के बीच 106 लोगों पर यह टेस्ट हुआ, जिसमें दो पॉजिटिव केस मिले। इसके बाद 22 से 28 मार्च के बीच 2877 लोगों का टेस्ट हुआ, जिसमें 48 पॉजिटिव केस मिले। इसके बाद यह सिलसिला बढ़ता रहा।
बता दें कि गत अप्रैल में विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी सिचुएशन रिपोर्ट (Situation Report) जारी की थी। उसने दावा किया था कि भारत में कोरोनावायरस का कम्युनिटी ट्रांसमिशन हो रहा है। हालांकि, बाद में उसने सफाई देते हुए कहा कि रिपोर्ट गलत थी, जिसे बाद में ठीक किया गया। उसने कहा था कि भारत में Cluster of cases (बहुत सारे मामले) हैं, लेकिन इनमें कम्युनिटी ट्रांसमिशन जैसा कुछ नहीं दिख रहा।
अब हम आपको बताने जा रहे हैं कि कोरोनावायरस के कुल कितने चरण होते हैं और उनके असर क्या होते हैं। पहले चरण में कोरोनावायरस का संक्रमण उन्हीं में होता है, जो किसी ऐसे देश से आ रहे हैं, जहां वायरस पहले से सक्रिय था। संक्रमण पर काबू पाने के लिए यह सबसे सही समय होता है। वहीं, दूसरा चरण लोकल ट्रांसमिशन स्टेज होता है। इसके तहत, विदेश से आया संक्रमित व्यक्ति जिन करीबी लोगों के संपर्क में आता है, वह इससे संक्रमित हो जाते हैं। अच्छी बात यह है कि इस चरण में पता होता है कि वायरस कहां से और किन लोगों में फैल रहा है। इस समय भी इसे रोकना आसान होता है। सरकार मान रही है कि भारत में अभी दूसरा चरण चल रहा है और वह इस पर काबू पा लेगी। इसके बाद आता है तीसरा चरण। इसमें ऐसे लोग भी संक्रमित होने लगते हैं, जो न विदेश से आए हैं और न ही विदेश से लौटे संक्रमित व्यक्ति के संपर्क में होते हैं। इस चरण में यह पता लगाना मुश्किल होता है कि संक्रमण किस माध्यम से फैल रहा है। विशेषज्ञों का दावा है कि भारत में तीसरा चरण चल रहा है। अंत में चौथा चरण, जो किसी भी महामारी का भयानक और अंतिम पड़ाव होता है। संक्रमण तेजी से फैलता है और इसमें किसी भी तरह के उपाय काम नहीं करते।