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फरीदाबाद में 25 गुना ज्यादा दूषित हुई हवा, सांस लेने में हो रही तकलीफ

रविवार को राष्ट्रीय राजधानी की हवा में जहर घुलना जारी रहा, क्योंकि वायु गुणवत्ता बहुत खराब बनी हुई है।

नई दिल्लीOct 28, 2018 / 07:04 pm

Prashant Jha

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फरीदाबाद में 25 गुना ज्यादा दूषित हुई हवा, सांस लेने में हो रही तकलीफ

नई दिल्ली: राष्ट्रीय राजधानी में जहां वायु गुणवत्ता बिगड़ती जा रही है, वहीं फरीदाबाद में रविवार को क्षेत्र का सबसे खराब प्रदूषण स्तर दर्ज किया गया। क्षेत्र में प्रदूषण स्तर, सुरक्षा सीमा के मुकाबले 25 गुना से भी ज्यादा दर्ज किया गया, जिसने मौसम विशेषज्ञों में खलबली मचा दी है। फरीदाबाद के प्रदूषण निगरानी केंद्र के मुताबिक, सुबह नौ बजे पीएम2.5 का स्तर 1,515 माइक्रोग्राम प्रति घन मीटर पाया गया, जबकि दोपहर 12 बजे यह गिरकर 1,457 इकाई और एक बजे तक यह 1,452 हो गया था। हवा में सूक्ष्म प्रदूषकों में से एक पीएम2.5 की अनुमत सीमा राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक 60 यूनिट और अंतर्राष्ट्रीय मानकों के मुताबिक 25 यूनिट होनी चाहिए। विशेषज्ञों ने हालांकि दावा किया है कि यह ऊंची रीडिंग तकनीकी खराबी के कारण हो सकती है, इसके बावजूद उन्होंने क्षेत्र की वायु गुणवत्ता को बहुत खराब करार दिया है।

प्रदूषण जांच की बढ़ी समस्या

केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रक बोर्ड (सीपीसीबी) के सदस्य सचिव प्रशांत गार्गव ने कहा, “यह एक तकनीकी खराबी हो सकती है, प्रदूषक असामान्य रूप से इतना अधिक नहीं हो सकता। पीएम 2.5 की 1.515 यूनिट बहुत ज्यादा है। हम मामले की जांच कर रहे हैं।” रविवार को राष्ट्रीय राजधानी की हवा में जहर घुलना जारी रहा, क्योंकि वायु गुणवत्ता बहुत खराब बनी हुई है। दिल्ली के 36 इलाकों में दोपहर एक बजे तक औसत पीएम2.5 223 यूनिट था।

हरियाणा सरकार ने ठहराया जिम्मेदार

गौरतलब है कि पिछले दिनों हरियाणा सरकार ने खराब हवा के लिए दिल्ली सरकार को जिम्मेदार ठहराया था। मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने शनिवार को पराली-दहन को लेकर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर निशाना साधा। उन्होंने कहा कि आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार पराली दहन रोकने में विफल रही है, क्योंकि राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में पराली-दहन में 50 फीसदी का इजाफा हुआ है।

दिल्ली सरकार प्रदूषण रोकने में नाकामयाब

खट्टर ने कहा कि हरियाणा सरकार ने पराली-दहन रोकने के लिए संतोषजनक प्रयास किया है, लेकिन ‘आप’ सरकार पराली-दहन रोकने में नाकाम रही है। उन्होंने कहा, “पंजाब और हरियाणा में पराली-दहन में पिछले साल के मुकाबले 40 फीसदी की कमी आई है, लेकिन दिल्ली में इसमें 50 फीसदी की वृद्धि हुई है, जहां महज 7,600 हेक्टेयर कृषि भूमि है।”

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