आंदोलन केवल देश की राजधानी तक ही सीमित नहीं रहेगा
एनसीपी चीफ शरद पवार ने आगे कहा कि देश में पंजाब और हरियाणा के किसानों का खेती और अन्न उत्पादन में सबसे ज्यादा योगदान है। इसी का नतीजा है कि दुनिया के दर्जन भर से अधिक देशों को गेहूं और चावल पहुंचाने का काम अगर किसी ने किया है तो वो पंजाब और हरियाणा के ही किसान हैं। ऐस में अगर देश का अन्नदाता सड़क पर आकर प्रदर्शन कर रहा है तो इससे ज्यादा गंभीर बात और कुछ नहीं हो सकती। शरद पवार ने कहा कि अगर जल्द इसका संज्ञान नहीं लिया गया तो किसानों का यह आंदोलन केवल देश की राजधानी तक ही सीमित नहीं रहेगा। बल्कि पूरे देश के किसान कषि कानूनों के विरोध में हरियाणा और पंजाब के किसानों के साथ खड़े हो जाएंगे। उन्होंने यह भी कहा कि बिल पास होने के समय राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी ने सरकार से इस पर जल्दबाजी न दिखाने की अपील भी की थी।
Farmer Protest: किसानों और सरकार की बातचीत में नहीं निकला समाधान, अब 9 दिसंबर को होगी वार्ता
देश की 70 प्रतिशत आबादी को सीधे-सीधे प्रभावित
उन्होंने कहा कि नए कृषि बिल पहले चयन समिति के पास भेजे जाने चाहिए थे। ये बिल देश की 70 प्रतिशत आबादी को सीधे-सीधे प्रभावित करने वाले हैं, ऐसे में इन पर चर्चा की जानी चाहिए थी। यही वजह है कि सरकार को अब अपनी जल्दबाजी का खामियाजा भुगतना पड़ रहा है। ‘