scriptजानिए उन चार जजों के बारे में, जिन्होंने उठाए चीफ जस्टिस पर सवाल | four judges do press conference first time in independence india | Patrika News
विविध भारत

जानिए उन चार जजों के बारे में, जिन्होंने उठाए चीफ जस्टिस पर सवाल

आजाद भारत में पहली बार सुप्रीम कोर्ट के चार जजों ने प्रेस कांफ्रेंस आयोजित की।

Jan 12, 2018 / 02:50 pm

MUKESH BHUSHAN

Four Judges

नई दिल्ली। स्वतंत्र भारत के इतिहास में यह पहली बार हुआ है कि जब सुप्रीम कोर्ट के जजों ने कोई प्रेस कांफ्रेंस आयोजित कर सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश पर सवाल खड़े किए हैं। इस प्रेस कांफ्रेंस को आयोजित करने वाले चार जजों में जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर,जस्टिस कुरियन जोसेफ और जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर शामिल हैं।

इन जजों के बारे में लोगों की जिज्ञासा बढ़ गई है,आइए जानते हैं कि ये जज कौन हैं जो भारतीय लोकतंत्र के एक स्तम्भ न्यायपालिका की व्यवस्था पर सवाल खड़े कर उसे पारदर्शी व स्वच्छ बनाने की कोशिश कर रहे हैं।

जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर
मूलतः आंध्र प्रदेश के निवासी जस्टिस जस्ती चेलमेश्वर इससे पहले केरल और गुवाहाटी हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। भौतिकी से ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने आंध्रा यूनिवर्सिटी से लॉ की पढ़ाई की। वह अक्टूबर 2011 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे । जस्टिस चेलमेश्वर और जस्टिश रोहिंगटन फली नरीमन की दो सदस्यीय बेंच ने अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के मौलिक अधिकार के खिलाफ बने एक कानून को खारिज किया। इस कानून में यह था कि इसके तहत पुलिस किसी को भी आपत्तिजनक इलेक्ट्रॉनिक मैसेज करने के आरोप में गिरफ्तार किया जा सकता था। इसके अलावा जस्टिस चेलमेश्वर ने दो और जजों की बेंच के साथ आधार पर एक महत्वपूर्ण फैसला सुनाया था कि किसी भी भारतीय नागरिक को आधार के ना होने पर उसे सरकारी योजनाओं के फायदे से दूर नहीं रखा जा सकता है। जजों की नियुक्ति के मामले में केंद्र सरकार की एनजेएसी के गठन के फैसले का समर्थन करते हुए जस्टिस चेलमेश्वर ने वर्तमान कोलेजियम सिस्टम को क्रिटिसाइज भी किया था।

जस्टिस कुरियन जोसेफ
केरल से लॉ की पढ़ाई पूरी कर 1979 से वकालत शुरू करने वाले जस्टिस कुरियन जोसेफ 2000 में केरल हाईकोर्ट और हिमाचल प्रदेश के मुख्य न्यायाधीश के तौर पर कार्य कर चुके हैं। मार्च 2013 में उन्हें सुप्रीमकोर्ट का न्यायाधीश बनाया गया। बता दें कि जस्टिस कुरियन जोसेफ उस वक्त विवादों के घेरे में आए थे जब न्यायिक सुधार के लिए गुड फ्राइडे पर बुलाई गई जज कांफ्रेंस के विरोध में जस्टिस कुरियन ने पीएम मोदी को चिट्ठी लिखा था कि गुड फ्राइडे की वजह से वो परिवार के साथ केरल में हैं और इसलिए वह इस मौके पर आयोजित डिनर में शामिल नहीं हो पाएंगे। उन्होंने पीएम मोदी सभी पवित्र दिनों को समान महत्व दिए जाने का आग्रह करते हुए लिखा था कि दीवाली, दशहरा, होली, ईद, बकरीद जैसे शुभ और पवित्र दिन ऐसे आयोजन नहीं किए जाते हैं।

जस्टिस रंजन गोगोई
असम मूल के जस्टिस रंजन गोगोई सुप्रीम कोर्ट में जज बनने से पहले पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट के मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। वह अप्रैल 2012 में सुप्रीम कोर्ट के जज बने थे। जस्टिस गोगोई के बारे में जानने के लिए एक खास बात यह है कि वह असम के पूर्व मुख्यमंत्री केशब चंद्र गोगोई के बेटे हैं।

जस्टिस मदन भीमराव लोकुर
दिल्ली यूनिवर्सिटी से इतिहास (आनर्स) से ग्रेजुएशन कर यहीं से लॉ करने वाले जस्टिस लोकुर दिल्ली हाईकोर्ट में कार्यवाहक तौर पर मुख्य न्यायाधीश रह चुके हैं। इसके बाद वह गुवाहाटी हाईकोर्ट और आंध्र प्रदेश हाईकोर्ट में मुख्य न्यायाधीश के पद पर काम कर चुके हैं। इस वक्त जस्टिस लोकुर वरिष्ठता की सूची में पांचवे नंबर पर हैं।

Home / Miscellenous India / जानिए उन चार जजों के बारे में, जिन्होंने उठाए चीफ जस्टिस पर सवाल

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो