नई दिल्ली। कोरोना काल में लोगों की बढ़-चढ़कर सेवा कर रहे कोरोना वॉरियर्स की जितनी सराहना की जाए उतनी कम है। इस कठिन समय कई ऐसे लोग सामने आए हैं, जिन्होंने संक्रमण से उबरने के बाद दूसरों को बीमारी से बाहर निकालने में मदद की।
वाराणसी के कोरोना योद्धा राजेश गुप्ता ने सात अगस्त को कोरोना को मात दी थी। इसके बाद से अब तक साढ़े तीन महीने में राजेश ने अस्पतालों में भर्ती चार कोरोना मरीजों की जान बचाई है। राजेश अब तक चार बार प्लाज्मा को डोनेट कर चुके है।
काशी रक्तदान समिति के संस्थापक सचिव राजेश गुप्ता के अनुसार 8 जुलाई को उनकी की कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। अस्पताल में भर्ती होने के बाद उनकी 7 अगस्त को रिपोर्ट निगेटिव आई। एक माह तक वह महामारी से जूझते रहे। इस तकलीफ से उबरने के बाद उन्होंने ठानी कि वे अन्य मरीजों को लड़ने में मदद करेंगे।
चार बार प्लाज्मा डोनेट कर चुके हैं वे शुरू से मरीजों की सेवा और समर्पण के लिए प्रयासरत रहे हैं। राजेश अब तक चार बार प्लाज्मा डोनेट कर चुके हैं। बीएचयू अस्पताल के ब्लड बैंक में सबसे अधिक तीन बार और 23 नवंबर को एपेक्स हॉस्पिटल में चौथी बार उन्होंने अपना प्लाज्मा डोनेट किया।
राजेश के अनुसार पहली बार 29 अगस्त, दूसरी बार 17 सितंबर और तीसरा प्लाज्मा डोनेशन बीएचयू अस्पताल में 14 अक्तूबर को प्लाजमा डोनेट करने के बाद 23 नवंबर को चौथी बार उन्होंने प्लाज्मा डोनेट किया। इस तरह का जज्बा बहुत कम मरीजों में देखने को मिलता है।
दरअसल कोरोना को मात देने के बाद मरीज के शरीर में 90 दिनों तक उसके शरीर में एंटीबॉडी मौजूद रहता है। मरीज दूसरों को प्लाज्मा डोनेट कर सकते हैं। ऐसे लोग अगर आगे आकर प्लाजमा को डोनेट कर कई लोगों को मरने से बचा सकते हैं।
क्या है प्लाजमा थेरेपी प्लाज्मा थेरेपी को मेडिकल साइंस की भाषा में प्लास्माफेरेसिस (plasmapheresis) नाम से जाना जाता है। प्लाज्मा थेरेपी के जरिए खून के तरल पदार्थ या प्लाज्मा को रक्त कोशिकाओं (blood cells) से अलग किया जाता है। इसके बाद यदि किसी व्यक्ति के प्लाज्मा में अनहेल्थी टिशू मिलते हैं, तो उसके प्लाजमा को ताकत देने के लिए दूसरे के प्लाजमा का इस्तेमाल किया जाता है।
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