एक महिला को भी मिल सकता है अंतरिक्ष जाने का मौका
इसरो प्रमुख ने बताया कि गगनयान मिशन भारत के लिए काफी अहम है। गगनयान में एक इंसान को अंतरिक्ष में भेजेंगे और यान के जरिए ही वापस धरती पर लाएंगे। इंसान को अंतरिक्ष में भेजने के लिए एक नया सेंटर भी स्थापित किया गया है। सिवान ने बताया कि गगनयान के लिए भारत में होने वाली ट्रेनिंग पूरी कर ली गई है लेकिन आगे की ट्रेनिंग के लिए अंतरिक्ष यात्री रूस जा सकते हैं। उन्होंने बताया कि हम चाहते हैं कि इस मिशन किसी महिला को भी भेजा जाए लेकिन ऐसा हो पाता है या नहीं ये ट्रेनिंग पर निर्भर है। फिलहाल हम महिला और पुरुष दोनों को ही एक समान ट्रेनिंग दी जा रही है। इस मिशन पर जाने वाले अंतरिक्ष यात्री को व्योमनॉट्स कहा जाएगा।
मानव जैसी ही होगा बगैर मानव वाला मिशन
बिना मानव के मिशन में प्रक्षेपण यान, मॉड्यूल समेत अन्य सभी उपकरणों सहित पूरी प्रक्रिया वास्तविक मिशन की तरह ही होगी। अंतरिक्ष यात्रियों को लेकर जाने वाले मॉड्यूल और अन्य सभी उपकरणों को अंतरिक्ष में तय कक्षा तक पहुंचाने के लिए जीएसएलवी एम के-3 प्रक्षेपण यान का इस्तेमाल होगा। मिशन को सफल बनाने के लिए भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) राष्ट्रीय एजेंसियों, प्रयोगशालाओं, शिक्षण संस्थानों और उद्योगों के साथ साझेदारी करेगा।
कैबिनेट ने 10 हजार करोड़ रुपए किए मंजूर
भारत के पहले अंतरिक्ष मानव मिशन ‘गगनयान’ को 28 दिसंबर केंद्रीय कैबिनेट से मंजूरी मिली थी। इसरो के इस महत्वकांक्षी अभियान पर 10 हजार करोड़ रुपए की लागत का अनुमान है। जिसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में मंत्रिमंडल के आर्थिक मामलों की समिति ने मंजूरी दे दी केंद्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने शुक्रवार ने कहा कि आज दुनिया ने अंतरिक्ष में भारत का लोहा माना है। इस योजना को मंजूरी मिलने के बाद अगले 40 महीने के अंदर लॉन्च कर दिया जाएगा।
लाल किले से पीएम मोदी ने किया था ऐलान
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 15 अगस्त,2018 को लाल किले से घोषणा की थी कि वर्ष 2022 तक इसरो देश के पहले मानव मिशन को अंजाम देगा। पीएम ने अपने संबोधन में कहा कि अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में हमारा और हमारे वैज्ञानिकों का एक सपना है और मुझे यह घोषणा करने में प्रसन्नता हो रही है कि वर्ष 2022 तक 75वें स्वतंत्रता साल पर हम अंतरिक्ष में एक मानव मिशन भेजने की योजना बना रहे हैं। पीएम ने कहा कि हम वर्ष 2022 या उससे पहले अंतरिक्ष में भारतीय को पहुंचाएंगे। इसरो इस परियोजना पर वर्ष 2004 से ही काम कर रहा है।