सुरक्षा के विशेष इंतजाम छह दिन चलने वाले मेले में सुरक्षा के लिए पहली बार सीसीटीवी और ड्रोन्स के अलावा सैटेलाइट फोन का इस्तेमाल किया गया है। राज्य सरकार के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी के अनुसार- सैटेलाइट फोन यह सुनिश्चित करेंगे कि अन्य चीजों के अलावा भूकंप या कोई सुनामी आने पर भी संचार में बाधा न आए। इसके अलावा मेले में भटक जाने वालों के लिए विशेष वैबसइट, वाईफाई जोन और मोबाइल वॉशरूम जैसी सुविधाएं भी मुहैया कराई गई हैं। इस बार दस हजार मोबाइल वॉशरूम बनाए गए हैं। सुरक्षा के लिए कोस्ट गार्ड, आर्मी, एनडीआरएफ, मरीन पुलिस और राज्य पुलिस की तैनाती भी की गई है। इसके अलावा अपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए 100 क्विक रिस्पॉन्स टीमों को नमखाना, चेमागुड़ी और कछुबेरिया जैसी अलग-अलग जगहों पर तैनात किया गया है। पुलिस के अनुसार आपातकालीन स्थिति से निपटने के लिए पचास बोट्स भी तैनात हैं। इसके अलावा श्रद्धालुओं की की सहायता के लिए तीन हजार स्वयंसेवी मेले में तैनात हैं।
मेले के दौरान घोषणएं हिंदी में भी मुखर्जी ने बताया कि कुछ दिन पहले ही मुख्यमंत्री
ममता बनर्जी भी सागर द्वीप आई थीं। उन्होंने निर्देश दिया था कि मेले के दौरान की जाने वाली घोषणाएं हिंदी में भी की जाएं। इसके अलावा स्वच्छता का विशेष तौर पर
ध्यान रखा जा रहा है।
सब तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार हिंदू मान्यता के अनुसार- साल की 12 संक्रांतियों में मकर संक्रांति का सबसे महत्व ज्यादा है। इस दिन
सूर्य मकर राशि में प्रवेश करते हैं। मकर संक्रांति को तमिलनाडु में पोंगल, गुजरात में उत्तरायण, असम में बिहू और पश्चिम बंगाल में पौष संक्रांति के नाम से जाना जाता है। गंगासागर मेले की चर्चा धर्मग्रन्थों में मोक्षधाम के रूप में की गई है। गंगासागर के बारे में एक कहावत है कि, ‘सब तीरथ बार-बार, गंगासागर एक बार’। यानी गंगासागर की तीर्थयात्रा को सैकड़ों तीर्थयात्राओं के समान माना जाता है।