नई दिल्ली। हरिद्वार से दिल्ली के लिए तकरीबन 200 किमी की कांवड़ यात्रा के लिए गोल्डन बाबा फिर निकल पड़े हैं। 25 लग्जरी गाडिय़ां और सुरक्षा में 30 पीएसओ के साथ गोल्डन बाबा लोगों के आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। 21 जुलाई को दिल्ली के गांधीनगर लक्ष्मी नारायण मंदिर में अपने काफिले के साथ पहुंचकर गोल्डन बाबा भोलेनाथ का जलाभिषेक करेंगे। इस बार उनके शरीर पर दो किलो सोना और बढ़ गया है। गोल्डन बाबा उर्फ सुधीर मक्कड़ अपने शरीर पर तकरीबन 15 किलो सोना पहने रहते हैं। वह 21 सोने की चेन, 21 लॉकेट, बाजूबंद, अंगूठियां और यहां तक कि एक सोने की जैकेट भी पहनते हैं। वह 27 लाख की रोलेक्स घड़ी भी पहनते हैं। सोना पहनने और मंहगी कारो के जुनून के चलते लोग उन्हें गोल्डन बाबा के नाम से बुलाने लगे।
150 करोड़ से ज्यादा की है संपत्ति
बाबा के पास इंदिरापुरम गाजियाबाद में एक बड़ा फ्लैट भी है। श्रीमहंतजी गोल्डन पुरी के नाम से भी मशहूर गोल्डन बाबा की कोई संतान नहीं है। उनकी कुल संपत्ति 150 करोड़ से ज्यादा की है।
एक करोड़ का लग्जरी काफिला
बाबा के काफिले में करीब 25 लग्जरी गाडिय़ां और सुरक्षा में 30 पीएसओ शामिल हैं। एक बीएमडब्ल्यू, दो ऑडी, तीन फॉरच्यूनर, दो इनोवा और 17 अन्य वाहन हैं। बाबा खुद एक खुली एसयूवी में चलते हैं। उनकी कांवड़ यात्रा में 90 लाख से लेकर एक करोड़ रुपए तक का खर्च आता है।
सुरक्षा भी जबरदस्त
बाबा की सुरक्षा भी जबरदस्त है। उनकी सुरक्षा में 18 बाउंसर, आठ सुरक्षा अधिकारी दिन-रात लगे रहते हैं। खासतौर पर कहीं आने-जाने के वक्त।
2018 में मनाएंगे सिल्वर जुबली
बाबा ने बताया कि वह लगातार हरिद्वार से कांवड़ ला रहे हैं। काफिले में 250 से 300 शिवभक्त मौजूद रहते हैं। अगले साल उनकी 25वीं कांवड़ यात्रा यानी सिल्वर जुबली होगी। 2018 में वह आखिरी बार कांवड़ यात्रा पर निकलेंगे। पहली बार 1973 में कांवड़ लेकर गए थे। तब 250 रुपए खर्च आया था। उस वक्त उन्होंने पहली बार 200 रुपए का 10 ग्राम सोना पहना
कौन हैं गोल्डन बाबा
दिल्ली के रहने वाले गोल्डन बाबा (सुधीर कुमार) का गारमेंट का कारोबार था। बाबा ने बताया कि लगभग डेढ सौ करोड़ रुपए की प्रॉपट्री को छोडक़र वह शिवभक्ति में लीन हो गए। उनकी पत्नी राधा स्वामी सत्संग में सेवा कर रही है। लगभग 24 साल से लगातार वह हरिद्वार से कांवड़ ला रहे हैं। वह 16 मणि जूना आखाड़ा के श्री महंत भी हैं। वह 21 जुलाई को दिल्ली के गांधीनगर लक्ष्मी नारायण मंदिर में जलाभिषेक करेंगे। अपनी पूर्व संपत्ति को बेचकर पैसा इस यात्रा में खर्च करते हैं।गोल्डन बाबा ने बताया कि सन 1981-82 में उन्होंने हरिद्वार की हरकी पैड़ी पर माला भी बेची है। छह साल की उम्र में परिवार वालों ने उन्हे गुरुकुल महाविद्यालय ज्वालापुर हरिद्वार छोड़ दिया था। तभी से जनेऊ धारण कर लिया था। वह पहली कांवड़ 1972-73 में मात्र 250 रुपए में लाए थे।
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