देश में प्रशिक्षित डॉक्टरों की कमी को दूर करने में यह उपाय मददगार साबित हो सकता है। इस समय प्रति हजार आबादी डॉक्टरों का अनुपात बहुत कम होने के बावजूद एमबीबीएस की सीटें बहुत कम हैं।
क्यों लिया गया फैसला मेडिकल शिक्षा की महंगी फीस और सीटों की कमी को देखते हुए राष्ट्रीय मेडिकल आयोग ने शनिवार को ये कदम उठाए हैं। ये नियम एमबीबीएस के सभी नए कॉलेजों के लिए तो लागू होंगे ही जो मौजूदा कॉलेज अगले सत्र से अपनी सीटें बढ़ाना चाहेंगे, वे भी नए नियम का फायदा उठा सकेंगे।
कौन से नियम बदले गए – मेडिकल कॉलेज और इससे संबद्ध अस्पताल के लिए न्यूनतम जमीन की शर्त को खत्म कर दिया गया है। – छात्रों के उपयोगी गतिविधियों और फंक्शनल एरिया के लिए न्यूनतम क्षेत्र तय कर दिया गया है।
– विभिन्न विभाग अपनी शिक्षण सुविधाओं को आपस में साझा कर सकेंगे। हालांकि, इन्हें भवन निर्माण संबंधी नियमों का पालन करना होगा। – सभी डिपार्टमेंट की क्लास में ई-लर्निंग व्यवस्था करने को भी कहा गया है।
– नए प्रावधानों में स्किल लैब को भी अनिवार्य कर दिया गया है। – लाइब्रेरी के लिए न्यूनतम क्षेत्र और किताबों व जर्नल की न्यूनतम संख्या में भी कमी की गई है। – मेडिकल पढ़ाई के दौरान छात्रों के तनाव को देखते हुए काउंसलिंग सेवा को अनिवार्य कर दिया गया है।
– विजिटिंग फेकल्टी की व्यवस्था की गई है। डिपार्टमेंट ऑफ फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन शुरू किया जाएगा। – अब पढ़ाई शुरू करने से कम से कम दो साल पहले से पूरी तरह कार्यरत 300 बेड का मल्टीस्पेशलिटी अस्पताल जरूरी होगा। पहले यह अवधि तय नहीं थी।
– इन अस्पतालों के टीचिंग बेड में 10 प्रतिशत की कमी की गई है।