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मोदी के स्वच्छता अभियान के लिए सरकार के पास नहीं है फंड, प्राइवेट कंपनियों से की डिमांड

कारपोरेट मामलों के राज्यमंत्री पी.पी. चौधरी ने कॉरपोरेट कंपनियों से कहा है कि वो अपने CSR से कोष का 7 फीसदी हिस्सा स्वच्छ भारत मिशन के लिए खर्च करें।

Sep 17, 2017 / 04:56 pm

Rahul Chauhan

modi
नई दिल्ली: प्रधानमंत्रनरेंद्र मोदी के स्वच्छ भारत मिशन के लिए फंड की कमी पड़ रही है, जी हां कुछ ऐसी ही जानकारी दी है कारपोरेट मामलों के राज्यमंत्री पी.पी. चौधरी ने और उन्होंने कॉरपोरेट कंपनियों से कहा है कि वो अपने CSR (कॉरपोरेट सामाजिक दायित्व) से कोष का 7 फीसदी हिस्सा स्वच्छ भारत मिशन के लिए खर्च करें। पीपी चौधरी ने करीब 11 लाख से ज्यादा कंपनियों को ये निर्देश दिया है। पीपी चौधरी ने साथ ही कंपनी के कर्मचारियों को सफाई अभियान चलाने को भी कहा है।
2 अक्टूबर तक चलेगा अभियान
इसके अलावा मंत्री ने कंपनियों से ग्राम पंचायतों में स्वच्छता संदेश लिखे हुए होर्डिंग लगाने के लिए भी कहा है। पीपी चौधरी का यह प्रस्ताव सरकार के दो अक्तूबर तक चलाए जाने वाले ‘स्वच्छता ही सेवा’ अभियान के दौरान आया है। चौधरी ने कंपनियों के प्रमुखों को इस संबंध में पत्र लिखा है। इस बात की जानकारी उन्होंने ट्वीट कर दी है।
राष्ट्रपति ने लॉन्च किया अभियान
पीपी चौधरी ने ट्वीट कर कहा, ‘‘ #स्वच्छता ही सेवा अभियान के लिए 11 लाख से अधिक कंपनियों के प्रमुखों को पत्र लिखकर उनसे #सीएसआर कोष का एक हिस्सा स्वच्छ भारत कोष के लिए देने को कहा.’’ आपको बता दें कि शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने इस अभियान की शुरुआत की थी।
अभियान के तहत पूरे देश में होंगे कई कार्यक्रम
‘स्वच्छता ही सेवा अभियान’ के तहत देश के अलग-अलग हिस्सों में स्वच्छता से संबंधित कई कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे। साथ ही देश के लोगों से सफाई और शौचालय के निर्माण के लिए श्रमदान करने को कहा गया है। 1 अप्रैल 2014 को लागू सीएसआर नियमों के शेड्यूल 7 के मुताबिक 5 करोड़ रुपये की नेट प्रॉफिट कंपनियों को पिछले तीन सालों के औसत लाभ का 2 प्रतिशत सामाजिक विकास से जुड़े कार्यों पर खर्च करने को कहा गया है। इसमें स्वच्छता, शिक्षा, हेल्थकेयर और गरीबी हटाओ जैसे कार्यक्रम शामिल हैं।
जीएसटी के टैक्स रेट में कटौती करे केंद्र सरकार
वैश्विक सीएसआर मैनेजमेंट प्लेटफॉर्म गोदारा की को-सीईओ और फाउंडर ऋचा बाजपेई ने कहा है कि वित्त वर्ष 2016-17 में कारपोरेट इंडिया ने सीएसआर का 250 करोड़ स्वच्छ भारत मिशन पर खर्च किया था। अब इस मिशन के लिए कंपनियों से खर्च मांगने की बजाए केंद्र सरकार को जीएसटी के रेट में कमी करनी चाहिए। इससे सैनिटरी और अन्य जरूरी उत्पाद सस्ते होंगे। जैसे साबुन और सैनिटरी नैपकिन अभी 12 से 18 प्रतिशत के कर दायरे में आते हैं।
उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत मिशन के तहत निर्धारित लक्ष्य 12 करोड़ शौचालय बनाने के लिए 2 लाख करोड़ का फंड चाहिए। जिसका एक बड़ा हिस्सा सरकारी फंड से आना चाहिए।

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