चखरी दादरी में एक प्रवासी मजदूरों ( Migrant Workers ) ने मीडिया प्रतिनिधि की ओर से सवाल पूछे जाने पर अपना दर्द जिस अंदाज में बयां किया, उससे मजबूरी को हकीकत में समझा जा सकता है। एक प्रवासी मजदूर ने बताया कि साहब, काम-धंधे बंद हो गए। उनको ठेकेदारों ने निकाल दिया। यहां राशन नहीं मिल रहा है।
अब हमें कोरोना का नहीं बल्कि भूख से मरने का डर सता रहा है। इससे तो अच्छा है कि घर पर जाकर ही मर जाएं। हम कैसे भी अपने घर जाना चाहते हैं। चाहे हमें पैदल ही क्यों न जाना पड़े। ये पीड़ा उन सभी प्रवासी मजदूरों की है जो लॉकडाउन (Lockdown) के दौरान अपने राज्यों में घरों तक पहुंचना चाहते हैं और रजिस्ट्रेशन करवाने बाजारों में आए हैं।
ऐसे भी प्रवासी श्रमिक (Migrant laborer) हैं जो बसों का इंतजार कर रहे हैं। इन कामगारों का कहना है कि कोरोना के कारण लॉकडाउन लगने से उनकी रोजी-रोटी का जुगाड़ छिन गया। वे अपने घर से यहां कुछ कमाने के लिए आए थे।
Weather Forecast : विदर्भ और मराठवाडा में लू, Delhi NCR के लोग झेलेंगे गर्मी की मार प्रवासी श्रमिक ज्योति, श्रीराम, राजू व शकील आदि ने बताया कि उनको कोरोना का इतना डर नहीं है। यहां पर वो रोजी-रोटी के लिए आए थे। काम बंद होने पर निकाल दिया गया। अब दर-दर की ठोकरें खाने से तो अच्छा है कि अपने घर चले जाएं। घर में भी चिंता हो रही है।
प्रवासी श्रमिकों की समस्या के बारे में डीसी श्यामलाल पूनिया का कहना है कि जिला प्रशासन द्वारा श्रमिकों की सूची तैयार करवाई गई है। रजिस्ट्रेशन करने वाले श्रमिकों को उनके घरों में भिजवाने की व्यवस्था की जा रही है। प्रशासनिक अधिकारियों के माध्यम से करीब ढाई हजार श्रमिकों को उनके घर भेजा जा चुका है। प्रशासनिक स्तर पर हर तरह की मदद मुहैया कराने को लेकर निरंतर प्रयास जारी है।