हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार ने कहा कि जिन 11 लोगों को अंशु प्रकाश की एफआईआर में आरोपी बनाया गया है, वो इन विधानसभा कमेटियों का हिस्सा ही नहीं हैं। फिर अंशु प्रकाश को कमेटी के सामने पेश होने में क्या दिक्कत है? अंशु प्रकाश के वकील ने कहा कि अखिलेशपति त्रिपाठी, चौधरी फतेह सिंह, सौरभ भारद्वाज जैसे लोग इन विधानसभा कमेटियों का हिस्सा हैं जिन्होंने मुख्य सचिव की शिकायत की हुई है और अगर अंशु प्रकाश खुद नहीं जा रहे हैं तो अपने सचिव को जरूर भेजते हैं। लेकिन ये लोग मीटिंग ही रद्द कर देते है और फिर अंशु प्रकाश को पेश होने के लिए नोटिस भेज देते हैं। कोर्ट ने कहा कि ये अभूतपूर्व स्थिति है। जहां एक तरफ कमेटी के मेंबर अंशु प्रकाश की शिकायत करते हैं और दूसरी तरफ उन्हें अपने सामने पेश होने का नोटिस दे रहे हैं। कोर्ट अब इस मामले में 27 नवंबर को सुनवाई करेगा।
दिल्ली के मुख्य सचिव अंशु प्रकाश इससे पहले भी विधानसभा समितियों से मिले नोटिस को कोर्ट में चुनौती दे चुके हैं। कोर्ट ने उन्हें समितियों के सामने कुछ शर्तों के साथ पेश होने के निर्देश दिए थे, जिसमें मीटिंग के वक्त की वीडियो रिकॉर्डिंग को कोर्ट में जमा करने के आदेश दे दिए गए थे। लेकिन विधानसभा समितियों ने ये कहकर कोर्ट का निर्देश मानने से मना कर दिया कि वीडियो रिकॉर्डिंग मांगना कोर्ट के कार्यक्षेत्र से बाहर की चीज है, लिहाजा कोर्ट को रिकॉर्डिंग नहीं दी जा सकती। अधिकार क्षेत्र का विवाद उभरने के बाद हाईकोर्ट ने अंशु प्रकाश के विधानसभा समितियों के सामने पेश होने के अपने आदेश को वापस ले लिया था।
आपको बता दें कि अंशु प्रकाश को कुछ दिनों पहले विधानसभा की कमेटियों की ओर से दो बार पेश न होने पर नोटिस दिया गया था। जबकि हाईकोर्ट पहले ही अंशु प्रकाश को इन विधानसभा की कमेटियों के सामने पेश होने पर रोक लगा चुका है। अंशु प्रकाश के वकील ने कोर्ट को कहा कि उनको लगातार परेशान करने की कोशिश की जा रही है, जबकि वह सीधे तौर पर कोर्ट के आदेशों का पालन कर रहे हैं।