विज्ञान भवन : सरकार और किसानों के बीच 11वें दौर की बातचीत जारी याचिकाकर्ता के वकील के अनुसार उनके बेटे की विधवा को इस मामले में नो ऑब्जेक्शन देने के लिए निर्देशित किया जाना चाहिए। कम से कम उसके अनुरोध का जवाब देना चाहिए। कोर्ट ने हालांकि वकील के इस अनुरोध को खारिज कर दिया।
कोर्ट ने कहा कि दिल्ली के एक अस्पताल में रखे स्पर्म मृतक के हैं और चूंकि वह मृत्यु तक वैवाहिक संबंध में रहे थे। इस कारण मृतक के अलावा उनकी पत्नी के पास सिर्फ इसका अधिकार है।
याचिकाकर्ता की दलील थी कि उनका बेटा थैलेसीमिया का मरीज था। ऐसे में भविष्य में उपयोग के लिए अपने शुक्राणु को दिल्ली के अस्पताल में सुरक्षित रखा था। वकील के अनुसार याचिकाकर्ता अपने बेटे के निधन के बाद अस्पताल के पास उसके बेटे के शुक्राणु पाने के लिए आवेदन किया। अस्पताल ने पिता से कहा कि इसके लिए उन्हें मृतक की पत्नी से अनुमति मांगनी होगी। इसके साथ विवाह का प्रमाण देना होगा।