दरअसल गुजरात की एक महिला ने पति के खिलाफ जबरन ओरल सेक्स करवाने के मामले में एफआईआर दर्ज करवाई थी। इस पर महिला के पति ने भी हाईकोर्ट का दरवाजा खदखटाया। अपनी याचिका में महिला के पति ने कहा कि वो शादीशुदा है इसलिए उस पर यौन उत्पीड़न और रेप के आरोप नहीं लगाए जा सकते।
क्या कहना है हाईकोर्ट का?
मामले की सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के जस्टिस परडीवाला ने कहा कि भारत में मैरिटल रेप अस्तित्व में है। यह एक घृणास्पद अपराध है। ओरल सेक्स की वजह से शादी के विश्वास को तोड़ा है। महिलाओं की एक बड़ी आबादी मैरिटल रेप के गैर-अपराधिक कृत्य की श्रेणी में होने का दंश झेल रही है। इसके साथ ही कोर्ट ने सरकार से जवाब मांग है कि क्या आईपीसी की धारा 377 के तहत कोई शख्स अगर अपनी पत्नी के साथ अप्राकृतिक सेक्स के करता है तो क्या पत्नी उस पर एफआईआर करवा सकती है।
इसके साथ ही क्या अगर पति पत्नी पर ओरल सेक्स करने का दवाब डालता है तो क्या इसे आईपीसी की धारा 498 (ए) के अंतर्गत क्रूरता की श्रेणी में रखा जाए। कोर्ट ने सरकार से ये भी पूछा है कि क्या जबरन ओरल सेक्स करने पर पति के खिलाफ आईपीसी की धारा 376 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। सरकार के जवाब के बाद कोर्ट मामले में सुनवाई करके फैसला सुनवाएगा कि क्या पत्नी के साथ जबरन ओरल सेक्स करना अपराध है या नहीं।