नई दिल्ली. विवादित धर्म प्रचारक जाकिर नाइक के एनजीओ की मदद करने वाले चार सरकारी अधिकारियों की भूमिका की जांच शुरू हो गई है। गृहमंत्रालय खुद जांच कर रहा है। इन्हें पहले ही निलंबित किया जा चुका है। इन्होंने जाकिर के एनजीओ इस्लामिक रिसर्च फाउंडेशन को विदेश से फंड जुटाने के लिए लाइसेंस दिया था। यही नहीं, इन चारों ने एनजीओ की जांच के बाद उसे क्लिन चिट भी दी थी।
सुरक्षा एजेंसियों की नजरों पर है जाकिर
जाकिर नाइक बांग्लादेश में हुए आतंकी हमले के बाद भारत की खुफिया एजेंसियों के राडार पर आया था। बहरहाल, शुरुआती जांच में यह भी निकलकर आया है कि विदेशी फंड जुटाने की इजाजत आला अधिकारियों से नहीं ली गई थी। इस बाबत गृहमंत्रालय में एफसीआरए यूनिट के उपसचिव स्तर पर इसकी जांच की जा रही है। इसके अलावा उप निदेशक द्वारा इस मामले में की गई ऑब्जरवेशन की भी जांच की जाएगी, जो एफसीआरए उल्लंघन मामले में एक शिकायत के बाद की गई थी। एफसीआरए यूनिट नाइक के 02 जून से लेकर 06 जून 2014 के बीच अकाउंट की भी जांच करेगी। एनजीओ को मिले फंड पर एफसीआरए को संदेह है। इसी दौरान नाइक द्वारा राजीव गांधी चेरिटेबल ट्रस्ट को की जाने वाली 50 लाख की फंडिंग पर भी एजेंसी की निगाह है।
मामला पीएमओ तक पहुंचा
बता दें कि विदेशों से फंड जुटाने को लेकर 19 मार्च 2015 को दी गई जांच रिपोर्ट पर अस्सिटेंट डायरेक्टर ने हस्ताक्षर किए हैं। इसमें एक नोटिंग में नाइक को इस्लाम का प्रचारक कहते हुए लिखा गया है कि उसके द्वारा अन्य धार्मिक पुस्तकों पर की गई टिप्पणी पर कई दूसरे समूहों ने आपत्ति दर्ज कराई थी। हालांकि एफसीआरए आतंकी संगठन अलकायदा, तालिबान और मुंबई में हुए आतंकी हमले से उसकी एनजीओ के संबंधों के बारे में कुछ पता नहीं लगा सकी। दरअसल इन अफसरों पर आरोप है कि इन्होंने बेहद गंभीर मामले में तथ्यों की जांच किए बिना संस्था का एफसीआरए रीन्यू कर दिया। मामला सामने आते ही गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने इस मामले में कार्रवाई का निर्देश दिया। बाद में इन्हें लापरवाही बरतने के आरोप में अधिकारियों का निलंबित किया गया है, जिन अधिकारियों का निलंबन हुआ है उन सभी ने जाकिर की संस्था की एफसीआरए फाइल पर सकारात्मक रिपोर्ट दी थी।
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