प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट बैठक में तय किया गया कि राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा मिशन ‘आयुष्मान भारत कार्यक्रम’ को पूरे देश में एक साथ लागू किया जाएगा। यह मौजूदा राष्ट्रीय स्वास्थ्य बीमा योजना की जगह लेगी। वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस वर्ष के बजट में भी इस योजना का एलान किया था। इससे दो साल पहले भी जेटली ने बजट में इस योजना का एलान किया था, लेकिन इस दौरान वह सिरे नहीं चढ़ पाई थी।
आयुष्मान योजना के तहत सरकार ने देश में 1.5 लाख स्वास्थ्य कल्याण केंद्रों के लिए 1,200 करोड़ रुपये आवंटित करने का निर्णय लिया है। इसके तहत लाभान्वित परिवार को अस्पताल में भर्ती होने पर हर तरह के इलाज के लिए पांच लाख रुपए तक की राशि का बीमा उपलब्ध करवाया जाएगा। इस योजना के तहत मरीज सरकारी अस्पताल के साथ ही प्राइवेट अस्पताल में भी अपना इलाज करवा सकेगा। राज्यों को इसे लागू करने के लिए स्टेट हेल्थ एजेंसी का गठन करना होगा। साथ ही वे इसे बीमा कंपनी के जरिए लागू करवाने या इसके लिए किसी मौजूदा ट्रस्ट या सोसाइटी का उपयोग करने के लिए स्वतंत्र होंगे।
इस योजना का लाभा एसपीसीसी डाटा बेस पर के मुताबिक गरीब और कमजोर लोग उठा सकते हैं। दुनिया की सबसे बड़ी सरकारी वित्त पोषित स्वास्थ्य सुविधा से कोई छूट न जाए इसके लिए परिवार के आकार और आयु पर किसी की सीमा नहीं है।
वित्त मंत्री अरुण जेटली ने 2018-19 का आम बजट पेश करते हुए कहा था कि अब हम देश के 10 करोड़ गरीब परिवारों के स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए एक प्रमुख राष्ट्रीय स्वास्थ्य सुरक्षा योजना शुरू कर रहे हैं। यह योजना लगभग 50 करोड़ लाभार्थियों को अस्पताल में द्वितीय एवं तृतीय दर्जे की देखभाल के लिए प्रति परिवार पांच लाख रुपये प्रति वर्ष तक उपलब्ध कराएगी। इस बात पर जोर देते हुए कि यह पहल स्वास्थ्य सेवा सुरक्षा को एक नए आकांक्षात्मक स्तर पर ले जाएगी, जेटली ने कहा कि यह पहल आयुष्मान भारत का हिस्सा है और इसके कार्यान्वयन के लिए पर्याप्त धन उपलब्ध कराया जाएगा।