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रेमडेसिविर का इंजेक्शन असली है या नकली, खुद करें जांच-पड़ताल

– रेमडेसिविर बाजार से खरीद रहे हैं तो सतर्कता बरतिए ।- बताए गए असली रेमडेसिविर इंजेक्शन पहचानने की तरीके।

नई दिल्लीApr 28, 2021 / 11:53 am

विकास गुप्ता

Remdesivir

Remdesivir

नई दिल्ली । देशभर में कोरोना वायरस के बढ़ते संक्रमण के बीच रेमडेसिविर इंजेक्शन की मांग बढ़ गई है। दिल्ली समेत देशभर से कालाबाजारी की खबरें आने लगी हैं। इंजेक्शन की नकली खेप बेचते लोग पकड़े गए हैं। ऐसे में इसके असली-नकली होने का पता होना जरूरी है। नकली इंजेक्शन पर रोक लगाने और इसकी कालाबाजारी को रोकने के लिए राज्य सरकारों ने भी अपनी तरफ से पहल की है। उत्तर प्रदेश और बिहार में रेमडेसिविर की सप्लाई मेडिकल कॉलेज व जिला अस्पताल के जरिए ही की जा रही है। वहीं, चंडीगढ़ में रेमडेसिविर इंजेक्शन खरीदने के लिए सरकारी डॉक्टर या अस्पताल का पर्चा चाहिए। राजस्थान में सप्लाई का जिम्मा जिला प्रशासन को दिया गया है। कालाबाजारी रोकने के लिए हरियाणा पुलिस ने हेल्पलाइन नंबर भी जारी कर दिया है।

गलतियों की ओर इन्होंने किया इशारा-
दिल्ली पुलिस में क्राइम ब्रांच डीसीपी मोनिका भारद्वाज ने इंजेक्शन के असली-नकली के अंतर को बताते हुए ट्विटर हैंडल पर रेमडेसिविर पैकेट की तस्वीरें शेयर की हैं। जो काफी मददगार हो सकती है।

ऐसे करें पहचान –
असली पर लिखा होगा ‘Rx’
नकली रेमडेसिविर के पैकेट पर ऊपर की तरफ ‘Rx’ नहीं लिखा होता है। जबकि असली डिब्बे पर आपको इंजेक्शन के नाम के आगे ये लिखा हुआ दिखाई देगा।

‘कोविफोर’ का अलाइनमेंट-
जहां कोविफोर लिखा गया है, उसके अलाइनमेंट में भी गड़बड़ी देखने को मिलती है। ओरिजनल पैकेट पर बिना गैप दिए यह लिखा गया है। जबकि नकली पैक पर इसके और ऊपर लिखे टेक्स्ट के बीच थोड़ा सा गैप छोड़ा गया होगा।

स्मॉल-कैपिटल लैटर्स –
असली रेमडेसिविर इंजेक्शन के पैकेट पर सबसे नीचे की तरफ ‘For use in’ कैपिटल लेटर में होता है जबकि नकली के डिब्बे पर इसे फिर स्मॉल लेटर्स में लिखा गया है। इससे भी नकली को पहचान सकते हैं।

नाम में देखिए अंतर-
नकली रेमडेसिविर के डिब्बे पर आपको दवा के नाम में फॉन्ट कुछ अलग सा दिखेगा। नकली पैकेट की तीसरी लाइन पर ‘100 mg/Vial’ लिखा हुआ होता है। जबकि असली डिब्बे पर ‘100 mg/vial’ लिखा होगा। इसमें आपको कैपिटल और स्मॉल लेटर का फर्क समझ आ जाएगा।

इंस्ट्रक्शन में फर्क –
ब्रांड के ठीक नीचे लिखे इंस्ट्रक्शन (निर्देशों) में भी फर्क है। असली पैक पर इसके नीचे सिर्फ दो लाइनें हैं। नकली पैकेट पर लिखे टेक्स्ट का फॉन्ट साइज बहुत छोटा है और कैपिटल व स्मॉल लेटर्स की गलती है।

नकली की ‘वार्निंग’
बॉक्स के पीछे वाले हिस्से में असली दवा के बॉक्स के पीछे लाल रंग से ‘Warning’ लेबल है। नकली वाले में ये गायब दिखता है। अगर किसी में है भी, तो काले रंग में।

लाइसेंस की जानकारी-
इसी के ठीक नीचे Covifir is manufactured under the licence from Gilead Sciences, Inc’
लिखा जाता है। जो नकली वाले डिब्बे पर नहीं दिखाई देगा। इसलिए इसे खरीदने से पहले जरूर ध्यान में रखें।

इंडिया में ‘I’ को देखें-
असली दवा के डिब्बे के नीचे लिखे इंडिया ((India) का आई कैपिटल लेटर से लिखा हुआ मिलता है। जबकि नकली डिब्बे में ये स्मॉल आइ (i)) से शुरू होता है।

राज्य का बिगड़ा नाम –
डीसीपी मोनिका भारद्वाज द्वारा शेयर की हुई इस तस्वीर में एक गलती और मिलती है कि इसमें राज्य के नाम ‘Telangana’ (तेलंगाना) को ‘Telagana’ लिखा गया है।

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