पूरी दुनिया इस वायरस से बचाव का तरीका खोजने में जुटी हुई है। वहीं देश के एक हिस्सा ऐसा भी जहां इस वायरस को बढ़ाया जा रहा है। चौंकिए मत, दरअसल हैदराबाद की एक लैब में इस वायरस को बढ़ाने के पीछे इस बचाव का उपाय निकालना है। यही वजह है कि हैदराबाद के एक लैब में कोरोना वायरस तैयार किया जा रहा है, ताकि इसके जीनोम स्ट्रक्चर को समझा जा सके।
कोरोना संकट के बीच सोनिया गांधी ने पीएम मोदी के सामने रखी अपनी मांग, जानिए क्या है पूरा मामला एक तरफ जहां दुनिया इस महामारी से त्रस्त है तो वहीं भारत में कोरोनावायरस बनाकर और त्रासदी क्यों बढ़ाई जा रही है? लेकिन ऐसा बिल्कुल नहीं है।
लैब में इस वायरस को बनाकर एक प्रयोग किया जा रहा है। वायरस से बचने के उपाय तलाशे जा रहे हैं। CCMB के लैब में वायरस से बचने के उपाय खोजे जा रहे हैं, जिसे कोरोना वायरस पर प्रयोग किया जाएगा।
सीसीएमबी के निदेशक राकेश मिश्रा के मुताबिक इस घातक वायरस के खात्मे के लिए किसी भी देश को दवा बनाने में कम से कम एक साल का वक्त लग सकता है।
तबलीगी जमातियों ने पार की सारी हदें, फिजूल मांगों को लेकर स्वास्थ्यकर्मियों पर थूक और खांस रहे ऐसे में फिलहाल इस बीमारी से बचने का एकमात्र उपाय सोशल डिस्टेंसिंग ही है। मिश्रा के मुताबिक ‘हमने कोरोना वायरस पर रिसर्च शुरू कर दी है। हमने अपनी प्रयोगशालाओं में इस वायरस को बड़ी संख्या में पैदा करना शुरू कर दिया है, जिससे कि हम इससे कोशिकाओं में इसकी वृद्धि का अध्ययन कर, इसे सीरम जांच के लिए इस्तेमाल कर सकें।
इतना ही नहीं उन्होंने कहा कि CCMB ने मंगलवार से कोरोना वायरस के नमूनों की जांच शुरू कर दी।
राकेश मिश्रा के मुताबिक चीन ने लोगों की गतिविधियों को नियंत्रित किया, तभी इस वायरस के कहर से बच पाया।
फिलहाल सोशल डिस्टेंसिंग के जरिये ही हम इसे कंट्रोल करने में सफल हो सकते हैं। क्योंकि इसकी वैक्सीन आने में कम से 10 से 12 महीने लग सकते हैं। फिलहाल भारत को अपनी जांच क्षमता बढ़ाने की आवश्यकता है, ताकि महामारी की सटीक स्थिति सामने आ सके और उस पर काबू पाया जा सके।