दरअसल, थाइलैंड वह देश हैं, जहां हर साल दुनियाभर के सैनिक कोबरा गोल्ड मिलेट्री की ट्रेनिंग लेने पहुंचते हैं। तमाम देश अपने सैनिकों को काफी पहले से इस ट्रेनिंग के लिए थाइलैंड भेजते हैं। इस ट्रेनिंग के दौरान सैनिक कोबरा जैसे जहरीले सांप को मारकर खाते हैं और उसका खून पीते हैं। यही नहीं, उन्हें सांप के अलावा, बिच्छू और छिपकली भी खाने को कहा जाता है। ड्रिल के दौरान सैनिकों को सिखाया जाता है कि कैसे जहरीले जंतुओं को पकड़ा जाए और उन्हें मारकर कौन सा अंग खाया जाए। इस ट्रेनिंग के लिए अमरीका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया जैसे देशों के सैनिक भी थाइलैंड आते हैं।
जब से कोरोना महामारी आई है, सभी को इसने डरा दिया है। देश अपने सैनिकों से अपील कर रहे हैं कि कोई दूसरा रास्ता निकालें, मगर जहरीले और जंगली जंतुओं को न खाएं। इससे वायरस फैलने का खतरा बढ़ जाएगा। ऐसे में माना जा रहा है कि थाइलैंड में भी इस ट्रेनिंग में बदलाव किया जा सकता है। इस डर की वजह से ट्रेनिंग में बदलाव की बात हो रही है। यह ट्रेनिंग वर्ष 1982 से हो रही है और एशिया पैसिफिक की यह सबसे बड़ी मिलेट्री ड्रिल है।
पहले यह ट्रेनिंग थाइलैंड और अमरीका ने मिलकर शुरू किया था, मगर बाद में इसमें कई छोटे-बड़े देश शामिल होते गए। यह ट्रेनिंग थाइलैंड की राजधानी बैंकाक में होती है। भारत ने पहली बार वर्ष 2016 में इस ट्रेनिंग में हिस्सा लिया था, जबकि चीन को इस पूरे अभ्यास में केवल एक चरण में ही शामिल होने की अनुमति दी गई।
ट्रेनिंग के दौरान रेगिस्तान, जंगल या बीहड़ में फंसने और रसद खत्म होने पर अपने खाने का इंतजाम कैसे करें, यह बताया जाता है। इस ट्रेनिंग में सैनिक अफसर और सैनिक दोनों शामिल होते हैं। उन्हें जहरीले जंतुओं को मारकर उनका जहर निकालने और फिर खाने की ट्रेनिंग दी जाती है। यही नहीं, उन्हें सांप का खून पीने की सलाह भी दी जाती है। बता दें कि थाइलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों में सांपों के खून काफी ताकतवर माने जाते हैं। इनके मांस पकाने और खून पीने की ट्रेनिंग देने के लिए पूरी टीम काम करती है।