scriptजंगल में रसद खत्म हो जाए तो सांप ही नहीं दूसरे जंगली जानवर भी मारकर खाने की दी जाती है ट्रेनिंग | If the logistics in the forest are over, then not only snakes, but oth | Patrika News
विविध भारत

जंगल में रसद खत्म हो जाए तो सांप ही नहीं दूसरे जंगली जानवर भी मारकर खाने की दी जाती है ट्रेनिंग

Highlights. – कई बार सैनिक ऐसे ऑपरेशनों या अभियानों में होते हैं, जहां उन्हें कई दिन तक जंगल में रहना पड़ता है – कई दिनों तक जंगल में भटकना होता है, वे जितनी रसद कैंप से लेकर निकले होते हैं, खत्म हो जाती है – कोबरा गोल्ड मिलेट्री टे्रनिंग में जहरीले सांप-बिच्छू से लेकर जंगली जानवर तक खाना सिखाया जाता है
 

Feb 24, 2021 / 12:08 pm

Ashutosh Pathak

cobra.jpg
नई दिल्ली।

किसी भी देश का सैनिक हमेशा अपनी जान हथेली पर लेकर घूमता है। चाहे वह किसी अभियान या ऑपरेशन में हो या फिर सीधे युद्ध में। इस दौरान, उन्हें मानसिक और शारीरिक दोनों तौर पर खुद को फिट और मजबूत रखना जरूरी होता है। कई बार सैनिक ऐसे ऑपरेशनों में होते हैं, जहां उन्हें कई-कई दिन तक जंगल में रहना पड़ता है। इस दौरान वे जितनी रसद कैंप से लेकर निकले होते हैं, खत्म हो जाती है।
ऐसे में भोजन के इंतजाम होने तक खुद को कैसे जिंदा रखें कि इसकी बाकायदा उन्हें ट्रेनिंग की दी जाती है। इसमें जहरीले सांप-बिच्छू से लेकर जंगली जानवर तक खाना सिखाया जाता है। हालांकि, कई देश अब अपने सैनिकों से सांप-बिच्छू या दूसरे जंगली जानवर नहीं खाने की अपील कर रहे हैं। इसकी क्या वजह है, यह आपको आगे बताएंगे। पहले यह जानते हैं कि इन जहरीले और जंगली जंतुओं को खाने की ट्रेनिंग कहां और कैसे दी जाती है।
कैसे पकडक़र मारें और कौन सा अंग खाएं
दरअसल, थाइलैंड वह देश हैं, जहां हर साल दुनियाभर के सैनिक कोबरा गोल्ड मिलेट्री की ट्रेनिंग लेने पहुंचते हैं। तमाम देश अपने सैनिकों को काफी पहले से इस ट्रेनिंग के लिए थाइलैंड भेजते हैं। इस ट्रेनिंग के दौरान सैनिक कोबरा जैसे जहरीले सांप को मारकर खाते हैं और उसका खून पीते हैं। यही नहीं, उन्हें सांप के अलावा, बिच्छू और छिपकली भी खाने को कहा जाता है। ड्रिल के दौरान सैनिकों को सिखाया जाता है कि कैसे जहरीले जंतुओं को पकड़ा जाए और उन्हें मारकर कौन सा अंग खाया जाए। इस ट्रेनिंग के लिए अमरीका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया जैसे देशों के सैनिक भी थाइलैंड आते हैं।
अब सांप-बिच्छू नहीं खाने की अपील कर रहे देश
जब से कोरोना महामारी आई है, सभी को इसने डरा दिया है। देश अपने सैनिकों से अपील कर रहे हैं कि कोई दूसरा रास्ता निकालें, मगर जहरीले और जंगली जंतुओं को न खाएं। इससे वायरस फैलने का खतरा बढ़ जाएगा। ऐसे में माना जा रहा है कि थाइलैंड में भी इस ट्रेनिंग में बदलाव किया जा सकता है। इस डर की वजह से ट्रेनिंग में बदलाव की बात हो रही है। यह ट्रेनिंग वर्ष 1982 से हो रही है और एशिया पैसिफिक की यह सबसे बड़ी मिलेट्री ड्रिल है।
मोदी सरकार में भारतीय सैनिक भी जाने लगे
पहले यह ट्रेनिंग थाइलैंड और अमरीका ने मिलकर शुरू किया था, मगर बाद में इसमें कई छोटे-बड़े देश शामिल होते गए। यह ट्रेनिंग थाइलैंड की राजधानी बैंकाक में होती है। भारत ने पहली बार वर्ष 2016 में इस ट्रेनिंग में हिस्सा लिया था, जबकि चीन को इस पूरे अभ्यास में केवल एक चरण में ही शामिल होने की अनुमति दी गई।
जहर निकालने और फिर खाने की ट्रेनिंग
ट्रेनिंग के दौरान रेगिस्तान, जंगल या बीहड़ में फंसने और रसद खत्म होने पर अपने खाने का इंतजाम कैसे करें, यह बताया जाता है। इस ट्रेनिंग में सैनिक अफसर और सैनिक दोनों शामिल होते हैं। उन्हें जहरीले जंतुओं को मारकर उनका जहर निकालने और फिर खाने की ट्रेनिंग दी जाती है। यही नहीं, उन्हें सांप का खून पीने की सलाह भी दी जाती है। बता दें कि थाइलैंड और इंडोनेशिया जैसे देशों में सांपों के खून काफी ताकतवर माने जाते हैं। इनके मांस पकाने और खून पीने की ट्रेनिंग देने के लिए पूरी टीम काम करती है।

Hindi News/ Miscellenous India / जंगल में रसद खत्म हो जाए तो सांप ही नहीं दूसरे जंगली जानवर भी मारकर खाने की दी जाती है ट्रेनिंग

ट्रेंडिंग वीडियो