साई दीपक ने तर्क दिया था कि भगवान अयप्पा को संविधान के अनुच्छेद 21, 25 और 26 के तहत ‘नैष्ठिक ब्रह्मचारी’ बने रहने का अधिकार है। इस कारण मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर पाबंदी होनी चाहिए, लेकिन कोर्ट इस दलील से सहमत नहीं हुआ।
इंजीनियरिंग के बाद की वकालत की पढ़ाई साई दीपक ने 2002-2006 के बीच अन्ना यूनिवर्सिटी से मैकेनिकल इंजीनियरिंग में बीटेक किया। इसके बाद आईआईटी खडग़पुर लॉ स्कूल से 2006-09 में कानून की पढ़ाई की। 2009 से वकालत शुरू की। वे दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में वकालत करते हैं।
जरूर पढ़ेंः भारत के मंदिरः अभी भी कहीं पर पुरुषों तो कहीं पर महिलाओं के प्रवेश पर है पाबंदी इंदु मल्होत्रा के समर्थन में काटजू सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज मार्कंडेय काटजू ने जस्टिस इंदु मल्होत्रा के सबरीमाला मामले में फैसले को सही ठहराया है। उन्होंने कहा, बहुमत से दिया गया फैसला गलत है। अपने बयानों को लेकर चर्चित रहने वाले काटजू ने कहा, सबरीमला और व्यभिचार वाला फैसला १९३० के दशक में अमरीकी सुप्रीम कोर्ट के न्यायिक सक्रियता की राह पर चलने जैसा है। उस दौर में अमरीकी कोर्ट में आत्मसंयम का अभाव था।
भगवान शिव और विष्णु के पुत्र हैं अयप्पा मान्यता है कि भगवान विष्णु ने जब मोहिनी रूप में धरा तो शिव उन पर मोहित हो गए। इससे भगवान अयप्पा का जन्म हुआ था। भगवान ने इन्हें पंपा नदी किनारे रखा था। तब पंडालम के नि:संतान राजा राजशेखर ने अयप्पा को गोद लिया। कुछ समय बाद रानी ने एक पुत्र को जन्म दिया। रानी अयप्पा से भेदभाव करने लगीं। इस पर अयप्पा ने राज्य छोडऩे का निर्णय लिया और पिता से पहाडिय़ों में मंदिर बनवाने की बात कहकर स्वर्ग चले गए। अयप्पा ने तब तक अविवाहित रहने का फैसला किया है जब तक उनके पास कन्नी स्वामी (जो पहली बार सबरीमला आते हैं) आना बंद नहीं कर देते। अयप्पा ब्रह्मचारी थे, इसलिए महिलाएं उनके मंदिर में नहीं जाती हैं।
सुप्रीम कोर्ट का ऐतिहासिक फैसलाः सबरीमाला मंदिर में हर उम्र की महिलाओं को प्रवेश की इजाजत 4134 फुट ऊंचाई पर बना है मंदिर सबरीमला मंदिर केरल के पत्तनमत्तिट्टा जिले में 4,134 फुट ऊंची पहाड़ी पर बना है। सबरीमला शैव और वैष्णवों के बीच कड़ी है। मलयालम में ‘सबरीमला’ का अर्थ पर्वत होता है। पंपा नदी से सबरीमला तक पैदल यात्रा करनी पड़ती है। यह रास्ता पांच किलोमीटर का है।