बाल कृष्ण की जुबानी, खौफनाक मंजर की कहानी 72वें स्वतंत्रता दिवस पर बाल कृष्ण गुप्ता बता दें कि 1947 में दोनों देशों के बंटवारे के बाद बिगड़े हालात के दौरान दोनों देशों के कई लोग मरे थे। उन्होंने बताया कि हुसैनीवाला रेलवे स्टेशन से एक ट्रेन पाकिस्तान जाया करती थी। उन्होंने बताया कि जिस वक्त यह हादसा हुआ, उस समय वो रेलवे में गार्ड थे। बाल कृष्ण गुप्ता ने बताया कि वरिष्ठ अधिकारियों ने उन्हें आदेश दिया था कि पाकिस्तान के गंडा सिंह रेलवे स्टेशन पर भारतीय फिरोजपुर आने का इंतजार कर रहे हैं। इसके बाद ट्रेन लेकर उन्हें तुरंत भेज दिया गया।
रास्ते में पाकिस्तानियों ने ट्रेन पर कर दिया हमला बाल कृष्ण गुप्ता बताते हैं कि पूरी ट्रेन भारतीयों से भरी थी, जब वे फिरोजपुर के लिए रवाना हुए। उन्होंने कहा कि जैसे ही ट्रेन कुछ दूर निकली पाकिस्तान के कुछ शरारती तत्वों ने ट्रेन पर हमला कर दिया। ट्रेन में काफी संख्या में पाकिस्तानी तेज हथियार लेकर घुस गए और लोगों पर हमला शुरू कर दिया। उन्होंने कहा कि पाकिस्तानी बड़ी बेरहमी से लोग को काटते चले गए और देखते ही देखते ट्रेन खून से लथपथ हो गई। उन्होंने कहा कि बड़ी मुश्किल से कुछ लोगों को बचाकर ट्रेन फिरोजपुर छावनी रेलवे स्टेशन पहुंची। बालकृष्ण बताते हैं जब भी उन्हें ये दिन याद आता है उनकी आंखों से आंसू छलक उठते हैं।
काफी ऐतिहासिक है यह ट्रैक रेलवे से सेवानिवृत चीफ कंट्रोलर बाल कृष्ण बताते हैं कि ट्रेन तो खून से लथपथ थी ही इस ट्रैक पर भी लोगों का खून बहा है। इसलिए यह ऐतिहासिक ट्रैक है। बहुत कम लोग जानते होंगे कि हुसैनीवाला स्थित समाधि स्थल 1960 से पहले पाकिस्तान के कब्जे में था। जन भावनाओं को देखते हुए 1950 में तीनों शहीदों की समाधि स्थल पाक से लेने की कवायद शुरू हुई।