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India-China Dispute: भारतीय सेना के सामने LAC पर क्या है बड़ी चुनौती

सर्दियों में एलएसी ( Line of Actual Control ) पर अतिरिक्त सैनिकों की तैनाती होने पर रसद पहुंचाना ( Logistical support ) बड़ी चुनौती।
अगले छह सप्ताह के भीतर भारतीय सेना ( Indian army planning ) को लेना है इस संबंध में फैसला।
भारत-चीन विवाद ( india-china dispute ) के चलते इन इलाकों में हर वक्त निगरानी ( Indian Army latest news ) हो गई है बेहद जरूरी।

Indian Army’s big challenge at LAC

नई दिल्ली। भारत-चीन सीमा विवाद ( india-china dispute ) के बीच इंडियन आर्मी के सामने एक बड़ी चुनौती खड़ी हुई है। मशहूर सैन्य कहावत ‘अनुभवहीन व्यक्ति रणनीति पर चर्चा करते हैं, जबकि पेशेवर रसद की,’ को यहां के बारे में गंभीरता से लेने की जरूरत है। क्योंकि चीनी सेना के खिलाफ लंबे वक्त तक लद्दाख ( India-China Border Dispute ) में विवादित वास्तविक नियंत्रण रेखा ( Line of Actual Control ) पर भारतीय सेना की तैनाती के लिए यह बहुत जरूरी है और इसी में चुनौती का सामना करना पड़ रहा है। दरअसल भारतीय सेना को अगले छह सप्ताह के भीतर सर्दियों में इस दुर्गम इलाके में कितने सैनिकों को रसद ( Logistical support ) पहुंचाई जा सकती है, इसको ध्यान में रखते हुए सैनिकों की तैनाती पर फैसला लेना है।
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बताया जा रहा है कि इस इलाके में भारतीय सेना ( Indian Army latest news ) ने तीन डिविजन टुकड़ी तैनात की हैं, जिनमें दो डिविजन बाहर से आई हैं। इनमें से एक डिविजन ऐसी है जिसका इस इलाके में कोई भी ऑपरेशनल रोल नहीं रहा है, जिसके चलते इसे रसद पहुंचाने में और भी मुश्किलें हैं। बीते दो महीनों में मैदानी इलाकों से लद्दाख में पहुंची अन्य यूनिट्स के लिए भी हालात समान बने रहने की संभावना है।
LAC पर तैनात अतिरिक्त सैनिकों अगर सर्दियों में भी इन इलाकों में तैनात रहते हैं, तो दूरदराज के पहाड़ी इलाकों में इनके लिए रसद पहुंचाना मुश्किल काम है और सेना इस मामले पर मंथन ( Indian army planning ) कर रही है।
मीडिया से बातचीत में सेना के उत्तरी कमांड के लॉजिस्टिकल इंचार्ज ने कहा कि अगर सर्दियों में भी अतिरिक्त सैनिकों को यहां तैनात किया गया, तो उन्हें रसद सहायता पहुंचाना चुनौती भरा काम होगा। अभी इस पर चर्चा जारी है और अगले छह सप्ताह में इस पर निर्णय लिया जाएगा।
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दरअसल रसद की आपूर्ति सेना के एडब्ल्यूएस के जरिये की जाती है और यह गर्मियों के महीनों में होती है। यहां पर आपूर्ति दो रास्तों से होती है जिनमें श्रीनगर से लेह तक और मनाली का रास्ता प्रमुख है। दिसंबर की शुरुआत तक ये दोनों मार्ग बर्फबारी के कारण बंद हो जाते हैं लेकिन सेना किसी भी आकस्मिक स्थिति के लिए नवंबर की शुरुआत तक रसद काफिले की आवाजाही को पूरा करने का प्रयास करती है। यह इलाका भी ऐसा है जहां किसी चीज का उत्पादन नहीं होता, ऐसे में समय रहते हर चीज पहुंचाना बेहद जरूरी हो जाता है।
वायु मार्ग से रसद पहुंचाना भी यहां पर चुनौतीपूर्ण है क्योंकि एक बार एक निश्चित सीमा से ऊपर जाने पर विमान पूरे भार के साथ लेह से उड़ान नहीं भर सकता है। अमरीकी C-130J इसके लिए बहुत बेहतर हैं, लेकिन पुराने रूसी IL-76 ट्रांसपोर्ट के जरिये कई मुश्किलें आने की संभावना है।

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