नई दिल्ली। हिंद महासागर में चीन और पाकिस्तान को टक्कर देने के लिए भारत फ्रांस से तीन और स्कॉरपीन सबमरीन खरीदने जा रहा है। भारत के छह सबमरीन मझगांव डॉक पर तैयार हैं, वहीं नई पीढ़ी के 6 सबमरीन का टेंडर जारी कर दिया गया है। ये सबमरीन अगले साल तक नौसेना बेड़े का हिस्सा बन जाएंगे।इन सबमरीन की नियुक्ति से अंडमान और निकोबार में भारत की मजबूती और बढ़ जाएगा। इससे चीन पर दबाव बढ़ेगा। आपको बता दें कि भारत के पास 13 पारंपरिक डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन हैं। इसमें से भी 10 सबमरीन 25 साल से पुरानी हैं। भारत ने फिलहाल आईएनएस चक्र को रूस लीज पर लिया हुआ है, लेकिन वह भी न्यूक्लियर मिसाइल की क्षमता नहीं रखता है। उधर चीन की बात की जाए तो उसके पास 51 पारंपरिक सबमरीन है। इतना ही नहीं चीनी सेना में 5 न्यूक्लियर सबमरीन भी हैं। इसके अलावा चीन 5 और नए जेआईएन क्लास के न्यूक्लियर सबमरीन को अपने बेड़े में शामिल करने जा रहा है। इनमें 7400 किलोमीटर तक मार करने वाली जेएल-2 मिसाइल लगी हैं। वहीं पाकिस्तान भी भारत के लिए एक नई चुनौती के रूप में उभर रहा है। इस्लामाबाद ने हाल ही में ही बीजिंग को 8 एडवांस डीजल इलेक्ट्रिक सबमरीन का ऑर्डर दिया है।एडमिरल धवन ने बताया कि मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत भारत में 6 न्यूक्लियर सबमरीन बनाए जाएंगे। इसके लिए तकनीकी मापदंड खड़े करने और शिपयार्ड तय करने पर काम चल रहा है। इसके लिए नए साल के शुरुआती दौर में ही स्वीकृति मिल जानी चाहिए। नौसेना की भाषा में एसएसबीएन कहे जाने वाले भारत का पहला न्यूक्लियर क्षमता युक्त आईएनएस अरिहंत भी अगले साल तक नौसेना बेड़े में शामिल हो जाएगा।