दोनों देशों ने चांद पर अपने अलग-अलग मिशन भेजे हैं लेकिन अब दोनों देशों के बीच संयुक्त साझेदारी में एक मिशन भेजने की अवधारणा बनी है। किरण कुमार ने कहा कि अगले दो महीनों में दोनों देशों के बीच इस मिशन को लेकर कार्यान्वयन समझौता हो जाएगा। उसके बाद अगले छह महीने के दौरान मिशन पर अध्ययन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि दोनों देशों ने चांद पर अलग-अलग मिशन भेजे हैं लेकिन अब चांद के रहस्यों से पर्दा उठाने के लिए दोनों ने संयुक्त रूप से काम करने का फैसला किया है।
हालांकि, यह परियोजना अभी प्राथमिक चरण में है। अभी दोनों देशों के बीच इस बात पर चर्चा हो रही है कि संयुक्त साझेदारी के तहत मिशन का स्वरूप और उद्देश्य क्या होगा। इसमें चांद की धरती पर लैंडर उतारने से लेकर वहां से नमूने एकत्रित कर धरती पर वापस लाने पर भी विचार किया जाएगा। किरण कुमार और जापानी अंतरिक्ष एजेंसी के अध्यक्ष ओकुमारा ने कहा कि इस मिशन के लिए अभी समय-सीमा तय नहीं की गई है लेकिन, दोनों देश इस परियोजना को तेजी से आगे बढ़ाएंगे जल्दी ही संयुक्त साझेदारी वाला यह मिशन संभव होगा।
एक सवाल के जवाब में किरण कुमार ने कहा कि भारत और जापान के इस संयुक्त मिशन को किसी भी अंतरिक्ष संपन्न देश के साथ प्रतिस्पर्धा के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। आज के दौर में अंतरिक्ष संपन्न शक्तियां आपसी साझेदारी बढ़ाने पर विशेष बल दे रही हैं न कि प्रतिद्वंद्विता को बढ़ावा दे रही हैं। गौरतलब है कि भारत का दूसरा चंद्र मिशन चंद्रयान-2 अगले वर्ष मार्च 2018 में भेजा जाएगा जिसकी तैयारी इसरो कर रहा है। भारत और जापान का संयुक्त चंद्र मिशन इससे अलग है।