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स्वास्थ्य देखभाल मामले में चीन और बांग्लादेश से भी पिछड़ा भारत, पहुंचा 145वें स्थान पर

भारत स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता और पहुंच के मामले में 195 देशों की सूची में 145वें स्थान पर है।

May 27, 2018 / 04:49 pm

Shweta Singh

india ranks 145th in list of health service quality across 195 nations

स्वास्थ्य देखभाल मामले में चीन और बांग्लादेश से भी पिछड़ा भारत, पहुंचा 145वें स्थान पर

नई दिल्ली। भारत स्वास्थ्य देखभाल की गुणवत्ता और पहुंच के मामले में 195 देशों की सूची में 145वें स्थान पर है। लैंसेट द्वारा किए गए एक अध्ययन में इस बात का खुलासा हुआ है। एक शोध रिपोर्ट के मुताबिक, भारत इस मामले में चीन, बांग्लादेश, श्रीलंका और भूटान जैसे पड़ोसी देशों से भी पीछे है। हालांकि 2000 से 2016 तक हेल्थकेयर की पहुंच और गुणवत्ता (एचएचक्यू) इंडेक्स में भारत की स्थिति में सुधार हुआ, लेकिन देश के उच्चतम और निम्नतम स्कोर के बीच का अंतर लगातार बढ़ता गया। भारत का एचएचक्यू जहां 1990 में 23.4 पॉइंट था, वह 2016 में बढ़कर 30.8 पॉइंट हो गया। भारत में टीबी, र्यूमेटिक हृदय रोग, इस्कैमिक हृदय रोग, स्ट्रोक, टेस्टिकुलर कैंसर, कोलन कैंसर और क्रॉनिक किडनी रोग के मामलों से निपटने में भी खराब प्रदर्शन दर्ज किया गया।

स्वास्थ्य देखभाल भारत में कोई चुनावी मुद्दा नहीं
हार्ट केयर फाउंडेशन ऑफ इंडिया (एचसीएफआई) के अध्यक्ष डॉ. के.के. अग्रवाल ने कहा, “स्वास्थ्य देखभाल भारत में कोई चुनावी मुद्दा नहीं है, सार्वजनिक स्वास्थ्य में सरकारी निवेश बहुत खराब रहा है। सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) का लगभग 4.7 प्रतिशत ही गुणवत्ता और समय पर स्वास्थ्य देखभाल पर खर्च हो रहा है। हालांकि कई भारतीय, विशेष रूप से गरीबी रेखा से नीचे वाले इस बात से अनजान हैं।”

इन कारणों से खराब हो रही है हालत
उन्होंने कहा, ‘ऐसे अस्पताल, जहां बीपीएल परिवार बिना भुगतान किए इलाज करवा सकते हैं, लेकिन तथ्य यह है कि इन विकल्पों के बारे में जागरूक करने के लिए कोई निवारण तंत्र नहीं है। इससे समस्या बढ़ती है और वह अपनी जेब से भुगतान करते हैं। फिर खराब प्रबंधन, भ्रष्टाचार, उत्तरदायित्व और नैतिकता जैसे मुद्दे हैं जो समस्या को बिगाड़ते हैं। तमिलनाडु और केरल जैसे राज्य के आंकड़े उदाहरण के रूप में कार्य कर सकते हैं। इन राज्यों में, स्वास्थ्य सेवाएं चुनावी जनादेश का हिस्सा हैं और इसीलिए यहां सेवाओं की गुणवत्ता बेहतर है।’ बता दें कि भारत के संविधान का भाग-4 राज्य नीति के निर्देशक सिद्धांतों के बारे में बात करता है। भाग-4 के तहत अनुच्छेद 47 में पोषण का स्तर बढ़ाने और जीवन स्तर को बढ़ाने तथा सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार के लिए राज्य के कर्तव्यों की सूची है।

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डॉ. अग्रवाल ने आगे कहा, ‘वक्त का तकाजा है कि स्वास्थ्य देखभाल पर तत्काल एकीकृत पहल की जाए, ताकि इसे एक ही समय में सार्वभौमिक रूप से सुलभ और सस्ता बनाया जा सके। इससे न केवल स्वास्थ्य की जरूरतों को पूरा करने में मदद मिलेगी, बल्कि गरीबी और विकास के स्तर पर भी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा। एक ऐसी रणनीति जो नागरिकों को अधिक प्रतिस्पर्धी बनाती है और देश के विकास के लिए कार्य करती है, इस समय जरूरी है।’ बेहतर और गुणवत्ता वाली स्वास्थ्य सेवाओं की पहुंच बनाने की मांग जारी है, ऐसे में हममें से प्रत्येक को अपनी देखभाल खुद करने की जिम्मेदारी बनती है।

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