डॉ. रेड्डी लैब के अधिकारियों का कहना है कि दूसरे चरण के क्लीनिकल ट्रायल के लिए 100 स्वयंसेवक व तीसरे चरण के लिए 1400 स्वयंसेवक की जरूरत पड़ेगी। कंपनी दूसरे चरण की सुरक्षा और इम्युनोजेनेसिटी डेटा प्रस्तुत करेगी।
वितरण का काम भी इस कंपनी के हाथ में
इस डेटा का विश्लेषण विशेषज्ञों द्वारा करने के बाद तीसरे सबसे महत्त्वपूर्ण चरण के लिए आगे बढ़ सकते हैं। इस वैक्सीन के विकसित होने के बाद वितरण भी यही करेगी। इसके लिए रूसी प्रत्यक्ष निवेश कोष के साथ हाथ मिलाया है।