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अब कोहरे की वजह से नहीं लेट होगी ट्रेन, रेलवे अपनाने जा रही ये हाईटेक तकनीक

अब कोहरे की वजह से ट्रेनें लेट नहीं होंगी। भारतीय रेलवे अब त्रि-नेत्र तकनीक का इस्तेमाल करने वाली है। जिसके तरह इंफ्रा रेड कैमरे मिलेंगे।

नई दिल्लीJan 02, 2018 / 02:46 pm

Chandra Prakash

indian railway
नई दिल्ली। साल के पहले ही दिन दिल्ली-एनसीआर समेत देश के कई हिस्से कोहरे की चपेट में आ गए। जिसकी वजह से करीब 20 फ्लाइटें देरी से उड़ान भरी और सैकड़ों ट्रेने लेट हो गई। कोहरे से निपटने के लिए दिसंबर 2017 में 6 हजार से ज्यादा ट्रेनों में फॉग पास डिवाइस लगाए गए। लेकिन इससे ट्रेनों की रफ्तार बहुत ज्यादा तेज नहीं हो सकी। अब कोहरे से आजादी पाने के लिए ड्राइवरों को त्रि-नेत्र तकनीक के इंफ्रा रेड कैमरे मिलेंगे। उन्हें कंप्यूटर स्क्रीन पर बाकी ट्रेनों की सटीक अपडेट दिखेगी। साथ ही हवाई उड़ानों की तरह रेडार के जरिये स्क्रीन पर ट्रैक के आसपास का मानचित्र दिखेगा।
कोहरे का कितना असर है परिवहन पर?
सरकारी रिपोर्ट के मुताबिक अत्याधिक कोहरे के दिनों में ट्रेनों की रफ्तार 15 किमी धीमी हो जाती है। इससे ट्रेन 4 से 22 घंटे देरी से चलती हैं। औसतन प्रतिदिन 140 ट्रेन देरी से चलती हैं और 18-20 रद्द होती हैं। सुबह के वक्त 70 प्रतिशत ट्रेन देरी से चलती हैं। हवाई परिवहन की बात करें तो प्रतिदिन औसतन 5 से 7 उड़ानें रद्द होती हैं और 20 से ज्यादा देरी से चलती हैं।
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आगे क्या हैं हमारी योजनाएं?
रेल विभाग तीन तरह की तकनीक को मिलाकर त्रि-नेत्र प्रणाली लाने की तैयारी में है। इसमें उच्च तकनीक के इंफ्रा रेड कैमरे ड्राइवरों के दिए जाएंगे। साथ ही बेहतर ऑप्टिकल की मदद से सिग्नल ट्रैक के बजाय कैबिन में मिलेंगे। साथ ही रेडार तकनीक को ड्राइवर कैबिन तक पहुंचाया जाएगा। ये तीनों तकनीक मिलकर दुर्घटना कम करेंगी और रफ्तार को बढ़ा देंगी।
कब मिलेगी त्रि-नेत्र प्रणाली रेलवे को?
रेल विभाग ने फिलहाल इसका प्रस्ताव रखा है। रेलवे बोर्ड के ईओआई में अमरीका, इजराइल, फिनलैंड और ऑस्ट्रिया की कंपनियों ने दिलचस्पी दिखाई है। फिलहाल यह तकनीक दुनिया में कहीं नहीं है। तीन तकनीकों के मिलाने की योजना को अगले दो साल में अमली जामा पहनाया जा सकता है।
देश में स्मॉग फाइटर और अन्य तकनीक क्यों नहीं हुईं सफल?
ट्रेनों परिचालन में स्मॉग फाइटर ज्यादा कारगर नहीं रहे, क्योंकि कई इलाकों में कैबिन तक सिग्नल सटीक ढंग से नहीं पहुंच पाते हैं। कोहरे के कारण ध्वनि तरंगें भी ठीक ढंग से काम नहीं करती हैं। सामान्य तौर पर कोहरे में ट्रेन ड्राइवर ट्रेन की स्पीड 15 किमी धीमी करते हैं। स्मॉग की मदद से यह 10 किमी तक ही पहुंच सकी। इससे समय में 2 से 5 घंटे की बचत हुई, लेकिन कुल मिलाकर बहुत बेहतर नहीं रही। हवाई उड़ानों में रेडार की तकनीक से ही काम किया जा रहा है। इनकी विंड स्क्रीन में बदलाव जल्द संभव है।
दुनिया में कहां पड़ता है सबसे ज्यादा कोहरा?
दुनिया में सबसे ज्यादा कोहरा न्यूजीलैंड के हेमिल्टन शहर में पड़ता है। यहां कोहरे से निजात के लिए अलग से विभाग है। साल में सबसे ज्यादा दिन कोहरा अमरीका के कैलिफोर्निया में रहता है। यहां साल में 200 दिन वातावरण कोहरे की चपेट में रहता है। भारत जैसे हालात चीन में रहते हैं। सर्दी के दिनों में उत्तरी, पूर्वी और मध्य चीन में यातायात प्रभावित होता है।
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क्या तकनीक अपनाई गईं देश में?
करीब एक दशक पहले ट्रेन परिचालन में पटाखे से कोहरा हटाने की पद्धति अपनाई गई, लेकिन यह कारगर नहीं रही। ट्रेन की रफ्तार इससे नहीं बढ़ सकी। हाल में फॉग पास (फॉग पायलट असिस्टेंस सिस्टम) या एफएसडी उपकरण अपनाए गए। इनमें जीपीएस लगा है और ट्रेन की दूरी की गणना से अलर्ट भेजते हैं। दिसंबर 2017 में ऐसे 6,095 उपकरण लगाए गए।
क्या है सबसे एडवांस तकनीक?
नीदरलैंड्स के शहर रोटरडम में दुनिया का पहला स्मॉग-फ्री टॉवर लगाया गया है। सात मीटर ऊंचाई का यह टॉवर 30 हजार क्यूबिक मीटर तक हवा को साफ करने में सक्षम है। यह एक तरह से बहुत बड़ा वैक्यूम क्लीनर है। जो फॉग पार्टिकल को अपने भीतर समेटता है।
फिलहाल क्या है अन्य देशों में हाल और निजात के लिए तकनीक?
अमरीका, सऊदी अरब, न्यूजीलैंड, ब्रिटेन, चीन जैसे देश भी कोहरे से परेशान हैं। द्वितीय विश्व युद्ध में हवाई उड़ानों को रास्ता देने के लिए बड़े पैमाने पर ईंधन जलाने की तकनीक प्रयोग में लाई गई, लेकिन यह बहुत खर्चीली थी। अब रेडार और एंटी फॉग ग्लास तकनीक का ज्यादा इस्तेमाल होता है। रूस और चीन जैसे देश कृत्रिम बारिश का भी सहारा लेते हैं। ट्रेनों के परिचालन के लिए जीपीएस और रेडार के जरिये कैबिन में आसपास की ट्रेनों के सटीक सिग्नल देने की तकनीक बीते दो दशक में सबसे अधिक कारगर रही है।
निजी इस्तेमाल के लिए क्या है तकनीक?
घरों में एंटी फॉगिंग शीशे का चलन बढऩे लगा है। इसके अलावा कार के रियर व्यू मिरर को एंटी फॉगिंग करने की तकनीक कई देशों में आ गई है। यह बहुत महंगी भी नहीं है। 30 गुणा 12 इंच का शीश करीब 1५00-२००० रु. में उपलब्ध है। इसके अलावा देश में एंटी फॉग लाइट के भी कई नए विकल्प आ गए हैं।
कोहरे के कारण कितना होता है नुकसान?
अलग-अलग अनुमानों के मुताबिक ट्रेन और हवाई उड़ानों की देरी, सडक़ दुर्घटनाओं और मेडिकल इमरजैंसी के कारण अत्याधिक कोहरे के दिनों में करीब 150 अरब रुपए प्रतिदिन का नुकसान होता है। अमरीका में यह नुकसान भारत से पांच गुना ज्यादा है। चीन में 100 अरब रुपए प्रतिदिन का आकलन है।

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