भारत के लिए एनएसजी की सदस्यता बेहद महत्वपूर्ण है। भारत इसका सदस्य बन जाता है तो न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी और यूरेनियम बिना किसी समझौते के मिल सकेंगे। उनके प्लांट से निकलने वाले कचरे को खत्म करने के लिए साथी सदस्य मदद भी करेंगे। इससे साउथ एशिया में भारत चीन के बराबर हो जाएगा। चूंकि न्यूक्लियर टेक्नोलॉजी से हथियार भी बनाए जा सकते हैं। इसे नियंत्रित करने के लिए ही एनएसजी बनाया गया था। मई 1974 में भारत के न्यूक्लियर टेस्ट करने के बाद ये ग्रुप अस्तित्व में आया। इसका काम प्रमाणु से संबंधित सामान के एक्सपोर्ट को देखना है। ग्रुप ने इसके लिए गाइडलाइंस बनाई हैं। इनके अनुसार प्रमाणु संबंधित सामग्री किसी सदस्य देश को तभी दी जा सकती है, जब ये यकीन हो कि उसका इस्तेमाल हथियार बनाने में नहीं किया जाएगा।