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इंदौर में गला घोंट रही प्राणवायु

सुबह घूमना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। लेकिन इंदौर में कुछ समय पूर्व मुनादी कराई गई कि सूरज उगने से पूर्व मॉर्निंग वॉक पर न जाएं, स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ेगा। कारण साफ है तेजी से बढ़ता वायु प्रदूषण। वैसे तो वायु की स्वच्छता व शुद्धता में पूरे मध्यप्रदेश की ही स्थिति खराब है, पर प्रदेश में शहरों की बात करें, तो इंदौर के नाम पर यह दाग है कि वह प्रदेश में सबसे प्रदूषित वायु वाला शहर है।

Feb 29, 2020 / 01:41 am

Hari Om Panjwani

indore is unwanted top city of madhya pradesh in air pollution

इंदौर में इस तरह की प्रदूषित हवा सांस लेना तक मुश्किल बना रही है।

प्रसंगवश. इंदौर.सुबह घूमना स्वास्थ्य के लिए लाभदायक होता है। लेकिन इंदौर में कुछ समय पूर्व मुनादी कराई गई कि सूरज उगने से पूर्व मॉर्निंग वॉक पर न जाएं, स्वास्थ्य पर विपरीत असर पड़ेगा। कारण साफ है तेजी से बढ़ता वायु प्रदूषण। वैसे तो वायु की स्वच्छता व शुद्धता में पूरे मध्यप्रदेश की ही स्थिति खराब है, पर प्रदेश में शहरों की बात करें, तो इंदौर के नाम पर यह दाग है कि वह प्रदेश में सबसे प्रदूषित वायु वाला शहर है। स्वच्छता में नंबर वन की हैट्रिक लगाने वाला शहर प्रदूषित वातावरण के मामले में दिल्ली के पीछे दौड़ पड़ा है, बल्कि कई बार आगे भी निकल जाता है। पीएम 2.5 और पीएम 10 कण आबोहवा में विष घोल रहे हैं।
नॉक्स, सॉक्स और कॉर्बन मोनो ऑक्साइड ने प्राणवायु को इतना जहरीला कर दिया है कि वह शहवासियों का ही गला घोंट रही है। बीमारियां बढ़ रही हैं, घातक हवा हार्टअटैक, फैफड़ों का कैंसर, डायबिटीज और सांसों की बीमारी का मकडज़ाल बुनकर शहरवासियों को शिकार बना रही है। ऐसा नहीं कि इंदौर अकेला इस समस्या से दो-चार हो रहा है। भोपाल, ग्वालियर, जबलपुर समेत पूरे प्रदेश की स्थिति ऐसी ही है। कारण और स्तर अलग-अलग हो सकते हैं।
वल्र्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन की रिपोर्ट के मुताबिक पूरे देश की स्थिति चिंताजनक है। देश में 2017 में करीब 12.4 लाख मौतों का कारण वायु प्रदूषण रहा है। इसने भारत में औसत जीवन प्रत्याशा की दर भी 1.7 फीसदी तक घटा दी है। एक शोध के मुताबिक अगर प्राणवायु को शुद्ध करने के लिए कुछ नहीं किया तो 2050 तक दुनियाभर में सालाना 60 लाख से ज्यादा लोगों की मौत की वजह वायु प्रदूषण होगा। आंकड़े निश्चित ही चेतावनी दे रहे हैं। हमें शुद्ध का युद्ध छेडऩा होगा।
साफ सफाई में दुनिया के लिए मिसाल बनने के बाद तो हमारी जिम्मेदारी और बढ़ गई है। हमें वाहनों का उपयोग घटाकर पर्यावरण हितैषी पब्लिक ट्रांसपोर्ट को बढ़ावा देना होगा। पौधरोपण कर हरियाली की चादर ओढ़ानी होगी। शहरों में ऑक्सीजन जोन बढ़ाने होंगे। पर्यावरण प्रदूषण को दोयम दर्जे से बाहर निकालकर प्राथमिकता में शामिल करना होगा। सरकारी मशीनरी को पूरी ताकत से जुटना होगा। सरकार और जनता दोनों को इसमें लगना होगा।

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