‘द इकोनॉमिस्ट’ ने कहा है, “नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की सांप्रदायिकता भारत के धर्मनिरपेक्ष लोकतंत्र को नष्ट कर रही है।” ऐसा नागरिकता संशोधन अधिनियम के क्रियान्वयन के संदर्भ में कहा गया है।
BIG NEWS: निर्भया केस में डेथ वारंट जारी करने के बाद जज का तबादला, अब दोषियों की फांसी पर बड़ा सवाल The Economist के लेख में कहा गया, “नरेंद्र मोदी ने दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र में विभाजन को बढ़ावा देने का कार्य किया है।” इसमें यह भी कहा गया है कि भारत के 20 करोड़ मुसलमानों को डर है कि प्रधानमंत्री हिंदू राष्ट्र बना रहे हैं।
लेख के मुताबिक, “संविधान के धर्मनिरपेक्ष सिद्धांतों को कमजोर कर मोदी (Prime Minister Narendra Modi) की हालिया पहल ने भारत के लोकतंत्र को जोखिम में डालने का काम किया है।” BIG NEWS: पी चिदंबरम का मोदी सरकार पर बड़ा आरोप, सत्ता में बैठे लोग ही असली टुकड़े-टुकड़े गैंग वाले हैं
The Economist के लेख में चेतावनी दी गई है कि एक समूह का ‘निरंतर उत्पीड़न’ सभी के लिए खतरा है और राजनीतिक प्रणाली को ‘खतरे में’ डालता है। ‘द इकोनॉमिस्ट’ ने नागरिकता संशोधन अधिनियम को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) सरकार का सबसे महत्वाकांक्षी कदम बताया है।
इस मैग्जीन ने कहा है कि सरकार की नीतियों ने नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को चुनाव जीतने में मदद दी है। लेकिन देश के लिए यह राजनीतिक जहर साबित हुआ है। लेख में चेतावनी दी गई है कि सीएए के कार्यान्वयन सहित मोदी की पहलों से रक्तपात हो सकता है।
BIG NEWS: भाजपा सांसद का सबसे बड़ा खुलासा, विरोध प्रदर्शन की वजह CAA नहीं बल्कि राम मंदिर है इसके अलावा The Economist में यह भी लिखा गया है कि धर्म और राष्ट्रीय पहचान पर विभाजन पैदा कर मुसलमानों को लगातार खतरनाक बताकर भाजपा ने समर्थन हासिल करने में सफलता पाई है और कमजोर अर्थव्यवस्था से ध्यान दूर करने का काम किया है।
मैग्जीन का कहना है कि प्रस्तावित राष्ट्रीय नागरिक रजिस्टर से भगवा पार्टी को अपने विभाजनकारी एजेंडे को आगे बढ़ाने में मदद मिलेगी। मैग्जीन ने दावा किया है कि इस प्रक्रिया में मोदी खुद को देश की 80 फीसदी हिंदू आबादी के रक्षक के रूप में आगे बढ़ाएंगे।