INX Media Case: इंद्राणी मुखर्जी के एक बयान पर नप गए चिदंबरम
INX Media Case: इंद्राणी का सरकारी गवाह बनते ही बदल गया केस का रुख
इंद्राणी ने अपने बयान में लिया था चिदंबरम का नाम
ईडी ने बयान को आधार मानकर चार्जशीट में दर्ज किया चिदंबरम का नाम
नई दिल्ली। देशभर की निगाहें सुप्रीम कोर्ट और सीबीआई की विशेष अदालत पर टिकी हैं। आज सीबीआई की विशेष अदालत चिदंबरम को रिमांड पर देने या न देने के मुद्दे पर विचार करेगी वहीं सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को जमानत अर्जी पर फैसला लेगी। फिलहाल देश के पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम सीबीआई की गिरफ्त में हैं।
लेकिन अहम सवाल यह है कि पिछले दो दिनों में जिस तरह से आईएनएक्स मीडिया केस में चिदंबरम नप गए उसके पीछे अहम किरदार कौन है? इंद्राणी के बयान सेे पलट गया गेम
अब जो बातें उभरकर सामने आई हैं उसके मुताबिक चिदंबरम को इस संकट में डालने के पीछे आईएनएकस की इंद्राणी मुखर्जी (Indrani Mukerjea) ने अहम भूमिका निभाई है। आईए बताते हैं कि कैसे इंद्राणी का एक बयान बन गया चिदंबरम के गले की फांस।
इंद्राणी ने ईडी के सामने दिया था ये बयान दरअसल, 11 जुलाई, 2019 को आईएनएक्स की इंद्राणी मुखर्जी इस केस में सरकारी गवाह बन गई। उसी दिन से इस केस का रुख बदल गया। प्रवर्तन निदेशालय ( ईडी ) के मुताबिक इंद्राणी ने अपने बयान में कहा है कि उनके पति पीटर ने चिदंबरम के साथ बातचीत शुरू की और INX मीडिया की एफडीआई अर्जी की कॉपी पीटर ने उन्हें सौंपी।
विदेशी निवेश संवर्द्धन बोर्ड ( FIPB ) की मंजूरी के बदले चिदंबरम ने पीटर से कहा कि उनके बेटे कार्ति चिदंबरम के बिजनेस में मदद करनी होगी। इस बयान को ईडी ने चार्जशीट में दर्ज किया और कोर्ट में भी इसे सबूत के तौर पर पेश किया।
बस, ईडी और सीबीआई की ओर से इस मुद्दे को अहम मानने के बाद दिल्ली हाईकोर्ट ने भी इसे गंभीरता से लिया। उसके बाद से चिदंबरम पर सीबीआई का शिकंजा कसता गया। पहले दिल्ली हाईकोर्ट ने जमानत याचिका खारिज कर दी। उसके बाद सुप्रीम कोर्ट से भी चिदंबरम को झटका लगा। इस बात का लाभ उठाते हुए बुधवार को सीबीआई ने चिदंबरम को उनके जोरबाग आवास से गिरफ्तार कर लिया।
हत्यारोपी के बयान पर गिरफ्तारी गलत इस बात का जिक्र गुरुवार को कांग्रेस के प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान मीडियाकर्मियों से की। उन्होंने मोदी सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि चिदंबरम के खिलाफ कोई सबूत सीबीआई के पास नहीं है।
केवल एक हत्यारोपी ( इंद्राणी मुखर्जी ) के बयान के आधार पर चिदंबरम को इस केस में फंसाया गया है। ऐसा करना लोकतंत्र की दिनदहाड़े हत्या है।