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विक्रम लैंडर हुआ फेल तो चंद्रयान-3 में फिर से भेजा जाएगा, इस बार ये देश करेगा ISRO की मदद

इसरो के वैज्ञानिकों को विक्रम लैंडर से संपर्क साधते हुए 6 दिन बीत चुके हैं। वैज्ञानिकों ने 14 दिन की समयसीमा बताई थी।

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नई दिल्ली। मिशन चंद्रयान-2 को सफल बनाने में इसरो (Indian Space Research Organisation - ISRO) के वैज्ञानिक लगातार कोशिश में जुटे हुए हैं। इसरो के वैज्ञानिक चांद के दक्षिणी ध्रुव की सतह पर मौजूद चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से संपर्क साधने का प्रयास लगातार कर रहे हैं, लेकिन अभी इस दिशा में कोई कामयाबी मिली नहीं है। 6 दिन बीत चुके हैं और वैज्ञानिकों के हाथ अभी कुछ नहीं लगा है, लेकिन प्रयास अभी भी जारी है। वैज्ञानिकों ने विक्रम लैंडर से संपर्क साधने के लिए 14 दिन का समय बताया था। वैज्ञानिकों के हर काम को सफल बनाने के लिए देश में दुआओं और प्रार्थनाओं को दौर जारी है। इस बीच खबर है कि इसरो मिशन चंद्रयान-3 में दोबारा से विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर को भेजा जा सकता है।

चंद्रयान-3 को चांद पर भेजने की तैयारी शुरू करेंगे वैज्ञानिक!

इसरो के वैज्ञानिकों ने भविष्य की योजना पर भी काम करना शुरू कर दिया है। वैज्ञानिकों का मानना है कि अगर चंद्रयान-2 के विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं हो पाता है तो भविष्य में किस तरह उससे संपर्क साधने की कोशिश की जा सकती है। इसके लिए वैज्ञानिकों ने चंद्रयान-3 में विक्रम और प्रज्ञान को चांद पर भेजने का फैसला किया है। मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इसरो के सूत्रों ने बताया है कि वैज्ञानिकों ने इस बात पर विचार करना शुरू कर दिया है कि अगर विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं हुआ तो वो विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का अपग्रेडेड वर्जन चंद्रयान-3 चांद पर भेजा जाएगा।

चंद्रयान-2 के आंकड़ों पर तैयार होगा चंद्रयान-3

इसको की तरफ से हालांकि अभी इस बात की कोई चर्चा नहीं की गई है, लेकिन सूत्रों की तरफ से कहा जा रहा है कि चंद्रयान-2 के आंकड़ों के आधार पर चंद्रयान-3 मिशन पूरा किया जाएगा। चंद्रयान-3 की संभावित तारीख 2024 थी, लेकिन अब लग रहा है कि इस मिशन में थो़ड़ी देर हो जाएगी।

कई आधुनिक तकनीक से लैस होगा चंद्रयान-3

जानकारी के मुताबिक, चंद्रयान-3 में जाने वाले लैंडर और रोवर में विक्रम लैंडर से ज्यादा बेहतरीन सेंसर्स, बेहतरीन कैमरा, अत्याधुनिक कंट्रोल प्रोसेस और ज्यादा ताकतवर संचार प्रणाली लगाई जाएगी। इसके अलावा चंद्रयान-3 में उस कमी को पूरा किया जाएगा, जिसकी वजह से विक्रम लैंडर से संपर्क नहीं हो पा रहा है। बताया जा रहा है कि चंद्रयान-3 के सभी हिस्सों में बैकअप संचार प्रणाली भी लगाई जा सकती है ताकि किसी भी प्रकार की अनहोनी होने पर बैकअप संचार प्रणाली का उपयोग किया जा सके।

जापान करेगा इसरो की मदद

बताया जा रहा है कि मिशन चंद्रयान-3 के लिए जापान इसरो की मदद कर सकता है। इसके लिए जापान अपने सबसे ताकतवर रॉकेट एच-3 का उपयोग करेगा। हालांकि, अभी यह रॉकेट बनाया जा रहा है। इस मिशन के लिए भारत लैंडर और ऑर्बिटर देगा और जापान रॉकेट और रोवर की सुविधा प्रदान करेगा। इससे उम्मीद जताई जा रही है कि जापान के ताकतवर रॉकेट की वजह से चंद्रयान-3 जल्दी चांद पर पहुंचेगा।