एमआरआई : 35 फीसदी,
सीटी स्कैन : 20 फीसदी
दूसरे जांच : 20 फीसदी
एक लैब से 200 करोड़ तक कमीशन
छापेमारी के दौरान इन लैबों ने 100 करोड़ रुपए तक अघोषित आमदनी की बात मानी। हालांकि, आईटी अधिकारियों का कहना है कि इनमें से सिर्फ एक लैब की रेफरल शुल्क आय ही 200 करोड़ रुपए से अधिक है।
चार तरीके से डॉक्टरों को भुगतान
1. कुछ लैब हर पखवाड़े चिकित्सकों को नकद कमीशन दे देते हैं।
2. कुछ अग्रिम राशि देकर बाद में कमीशन का हिसाब-किताब करते हैं।
3 . पेशेवर शुल्क के रूप में चेक। इसके मुताबिक संबंधित चिकित्सक उस लैब के सलाहकार होते हैं। हालांकि, वे वहां कभी जाते तक नहीं।
4. कुछ चिकित्सकों का लैबों के साथ राजस्व साझेदारी को लेकर करार का भी पता चला जिसमें कमीशन का भुगतान चेक से किया।
लैब के एजेंट किसी चिकित्सक द्वारा भेजे गए मरीज का पूरा ब्योरा जैसे- मरीज की क्या जांच हुई, कितना शुल्क लिया, कमीशन कितना बना एक लिफाफे के अंदर पर्ची में देते हैं। अगर चिकित्सक कमीशन की राशि का लेकर संतुष्ट नहीं हो तो वह लिफाफा एजेंट को लौटा देता है और बाद में लैब चिकित्सक के साथ विवाद सुलझा लेता है।
डॉक्टरों और जांच केंद्रों से ये बरामद हुए
1.40 करोड़ रुपए की नकदी
3.5 किग्रा आभूषण-जवाहरात
गुप्त विदेशी खातों में करोड़ों रुपए