बता दें जम्मू-कश्मीर में अगस्त, 2019 में धारा 370 और 35ए समाप्त होने के बाद पूर्व मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती को हिरासत में ले लिया गया था। बाद में उनके खिलाफ जनसुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज हुआ। तब से वह ऐहतियातन हिरासत में हैं।
लॉकडाउन खत्म होने का अनुमान केवल अटकलें, गर्मी के चलते और बढ़ सकता है कोरोना : डॉ. गंगाखेडकर पीएसए उन लोगों पर लगाया जा सकता है जिन्हें सुरक्षा और शांति के लिए खतरा माना जाता हो। 1978 में जम्मू-कश्मीर के तत्कालीन मुख्यमंत्री शेख अब्दुल्ला ने इस कानून को लागू किया था। 2010 में इसमें संशोधन किया गया था जिसके तहत बगैर ट्रायल के ही कम से कम छह महीने तक किसी को भी हिरासत में रखा जा सकता है। पूर्व सीएम महबूबा उसी पीएसए के तहत हिरासत में हैं।
आपको बता दें कि इससे पहले जम्मू कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला को लगभग 8 महीने तक हिरासत में रखने के बाद मार्च के आखिरी सप्ताह में उन्हें रिहा कर दिया गया था। जम्मू—कश्मीर प्रशासन ने उनके खिलाफ पीएसए के तहत लगाए गए आरोप हटाकर उनकी रिहाई का आदेश जारी किया गया था। रिहा होने के बाद उन्होंने कहा था कि पहला काम कोरोना से मुकाबला करना है।
Corona Crisis : चीन ने भारत को दिए 1.70 लाख PPE सूट उमर अब्दुल्ला से पहले उनके पिता फारूक अब्दुल्ला को हिरासत से रिहा किया गया था। पूर्व मुख्यमंत्री फारूक अब्दुल्ला को 221 दिन की हिरासत में रखने के बाद 13 मार्च को रिहा कर दिया गया था।