व्रत की पूर्व रात्रि को हल्का भोजन करना चाहिए और इस दिन शारीरिक संबंध भी नहीं बनाने चाहिएं। व्रत के दिन सुबह स्नानादि नित्यकर्मों से निवृत्त हो जाएं। इसके बाद जल, फल, कुश लेकर व्रत का संकल्प करें। संकल्प करने के बाद भगवान श्रीकृष्ण की मूर्ति या चित्र स्थापित करें और पूजन करें। पूजा में देवकी, वसुदेव, बलदेव, नंद, यशोदा, लक्ष्मी का नाम लेना ना भूलें।
15 अगस्त की मध्यरात में नवमी तिथि व कृतिका नक्षत्र में भगवान श्रीकृष्ण का जन्म होगा। इस दिन सर्वार्थ सिद्धि योग सुबह से रात 2.30 बजे तक रहेगा। यह योग श्रेष्ठता लेकर आएगा। चंद्रमा भी वृष राशि में, वहीं केंद्र में बुध व त्रिकोण में बृहस्पति रहेगा। यह योग आम जनता व व्यापारी दोनों के लिए मिश्रित फलदायी रहेगा। इससे पहले वर्ष 2014 में भी रोहिणी के बजाए कृतिका नक्षत्र में जन्माष्टमी मनाई गई थी।
जन्माष्टमी पर दक्षिणा वर्णी शंख में जल भरकर भगवान श्रीकृष्ण का अभिषेक करने से भक्तों की सभी मनोकामनाएं पूरी होंगी। भगवान श्रीकृष्ण को सफेद मिठाई या खीर का भोग लगाने से मान सम्मान में वृद्धि होगी। गरीबों व असहायों को फलाहार कराने से रोगों का नाश होगा। इस दिन भगवान श्रीकृष्ण की आराधना का विशेष महत्व होता है।