सिब्बल ने कहा कि जनवरी से लेकर नवंबर 2018 के बीच मैं सुप्रीम कोर्ट में राम मंदिर मसले को लेकर हाजिर नहीं हुआ। जब नवंबर में यह मामला सुप्रीम कोर्ट में आया तो चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया ने कहा कि उसकी प्राथमिकता में राम मंदिर नहीं है। तो अब क्या पीएम मोदी के पास इतना साहस है कि वे न्यायपालिका के खिलाफ जाकर बोल सकें। यह दिखाता है पीएम मोदी सिर्फ चाहते हैं कि इस मामले को चुनाव के लिए भुनाया जाए और इसका लाभ राजनीतिक तौर पर चुनाव के समय लिया जाए।
कपिल सिब्बल ने कहा था 2019 तक मामले को टाल दिया जाए
सिब्बल ने आगे कहा कि भाजपा और पीएम मोदी कांग्रेस पर आरोप लगाती है कि राम मंदिर का मामला सुप्रीम कोर्ट में केवल कांग्रेस की वजह से सुनवाई नहीं हो रही है। जबकि मैं सभी पार्टियों में से एक का प्रतिनिधित्व कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि वे यह नहीं जानते क्योंकि कांग्रेस राम मंदिर मामले में पार्टी नहीं है और नहीं भाजपा। मैं केवल एक स्टेकहॉल्डर का प्रतिनिधित्व कर रहा था। आपको बता दें कि कपिल सिब्बल कोर्ट में एक पक्षकार इकबाल अंसारी के पक्ष में दलील दे रहे थे। अपनी दलील में सुप्रीम कोर्ट में सिब्बल ने तर्क दिया था कि राम मंदिर मामले की सुनवाई को 2019 के चुनाव तक टाल दिया जाए। क्योंकि यदि इसमे किसी तरह का कोई फैसला आता है तो भाजपा उसे चुनावी मुद्दा बनाएगी। इसके बाद से भाजपा और तमाम लोगों ने सिब्बल के इस तर्क की कड़ी निंदा की। भाजपा ने आरोप लगाया कि कांग्रेस राम मंदिर मामले का समाधान नहीं चाहती है।