1971 की जंग में भारत ने पाकिस्तान को धूल चटाई थी, ये तो सब जानते हैं। लेकिन भारत की इस विजय गाथा में कुछ ऐसे लोग भी शामिल थे, जिन्होंने अपने अदम्य साहस से पूरा विश्व हैरान-परेशान था। उस जंग में दिल्ली के अरुण खेत्रपाल ने भी पाकिस्तान की जी भरकर बैंड बजाई थी।
अरुण खेत्रपाल ने जैसे ही इंडियन मिलिटरी अकैडमी से अपनी ट्रेनिंग पूरी की, तभी पाकिस्तान के साथ 71 का युद्ध शुरु हो गया था। अरुण ने अपने अधिकारियों से ये दिली ख्वाहिश ज़ाहिर की थी कि वे इस जंग में हिस्सा लेना चाहते हैं। 16 दिसंबर का दिन था, ये वही दिन है जिसे पाकिस्तान अपने जीवन में कभी नहीं भूलेगा। बता दें कि 16 दिसंबर को जंग ने विकराल रूप ले लिया था। अरुण ने देखते ही देखते पाकिस्तान के 4 टैंकों को तबाह कर चुके थे। लेकिन अफसोस उनके टैंक में भी आग लग गई थी। लेकिन साहस तो देखिए शरीर आग के हवाले हो चुका था, लेकिन अरुण ने खुद को बचाने के बजाए पाकिस्तान को मारना ज़्यादा मुनासिब समझा। अरुण ने मरते दम तक पाकिस्तान की छाती पर चढ़कर खूब कोहराम मचाया और फिर शहीद हो गए।
अरुण देश के सबसे कम उम्र में परमवीर चक्र पाने वाले सेना के योद्धा बने। उन्हें महज़ 21 साल की उम्र में ही उनकी वीरता और साहस के सम्मान में परमवीर चक्र से सम्मानित किया गया। शहीद अरुण खेत्रपाल को पत्रिका का सलाम।