‘प्रकृति की रक्षा की जिम्मेदारी हम सभी पर’ संस्था की तरफ से जारी एक बयान में अम्मा ने कहा है, ‘प्रकृति इन दिनों संतुलन से बाहर है। हम बहुत स्पष्ट रूप से देख रहे हैं कि जलवायु किस प्रकार बदल रही है। बरसात का मौसम नहीं होने पर भी अक्सर बारिश होती है। गर्मी का मौसम लंबा और लंबा होता जा रहा है। कुछ स्थानों पर जहां पहले कभी हिमपात नहीं हुआ था, अचानक बर्फ गिर रही है, फसलें गिर रही हैं और पेड़ों पर फल टिक नहीं पा रहे हैं। हमें जागरूकता के साथ ध्यान से आगे बढ़ने की जरूरत है क्योंकि हममें से प्रत्येक पर मां प्रकृति की रक्षा करने की जिम्मेदारी है।’
आपदा राहत में 475 करोड़ रुपए दान कर चुकी है संस्था बयान के अनुसार, इस मौद्रिक दान के अलावा, कोच्चि स्थित अमृता इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज एंड रिसर्च सेंटर (अमृता अस्पताल) के चिकित्सकों और विशेषज्ञों के साथ-साथ कोल्लम और काल्पेटा में अमृता कृपा चैरिटेबल अस्पताल के विशेषज्ञों को भी अम्मा ने बाढ़ पीड़ित इलाकों में भेजा है। वायनाड और अलप्पुझा जिलों में वे चिकित्सा शिविर आयोजित कर रहे हैं और भोजन, कपड़े और कंबल वितरित कर रहे हैं। माता अमृतानंदमयी मठ 2001 से ही आपदा राहत के लिए समर्पित है और तब से आपदा राहत में 475 करोड़ रुपए से अधिक का योगदान कर चुका है। पिछले साल अम्मा के आश्रम ने केरल राज्य के चक्रवात ओखी विशेष राहत कोष में दो करोड़ रुपए दान दिया था।