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नरोदा पाटिया मामला: जानें, बरी होने वाली माया कोडनानी की पूरी कहानी

माया कोडनानी पर आरोप था कि नरोदा पाटिया दंगे के समय उसने भीड़ को भड़काया था।

Apr 20, 2018 / 02:38 pm

Kiran Rautela

नई दिल्ली। 2002 में गुजरात में हुए नरोदा पाटिया मामले में शुक्रवार को कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया। जिसमें बाबू बजरंगी को कोर्ट ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। और माया कोडनानी को बरी कर दिया।
बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह ने दिया ये बयान

मामले पर बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह भी कोर्ट में गवाही देने पहुंचे। सूत्रों के अनुसार अमित शाह ने अपने बयान में कहा कि दंगे वाले दिन माया कोडनानी राज्य विधानसभा में थीं। वो उस दंगे वाली जगह पर मौजूद नहीं थी। बता दें कि कोडनानी के कहने पर ही कोर्ट ने अमित शाह को गवाही देने के लिए हाजिर होने को कहा था।
मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री थीं कोडनानी

बता दें कि 2012 में जब नरोदा पाटिया मामले में फैसला आया था और जिसमें 31 लोगों को दोषी पाया गया था उस समय माया कोडनानी गुजरात में मोदी मंत्रिमंडल में मंत्री थीं। माया को इस्तीफा भी देना पड़ा था। माया पर आरोप था कि दंगे के समय उसने भीड़ को भड़काया था।
तो आइए जानते हैं कौन है माया कोडनानी

माया कोडनानी पेशे से गाइनकालजिस्ट हैं। माया का नरोदा के कुबेरनगर में शिवम अस्पताल भी था। अपने राजनीतिक कैरियर की शुरुआत माया ने 1995 के स्थानीय चुनावों के साथ की थी और आरएसएस कार्यकर्ता के रूप में भी उसे जाना जाता था। नरोदा दंगे के समय माया कोडनानी नरोदा से बीजेपी विधायक थीं। और 2002 में गुजरात विधानसभा चुनाव में उन्हें फिर से विधायक चुना गया।
गुजरात सरकार में दिया गया मंत्री का पद

माया के जीत का सफर यहीं पर खत्म नहीं हुआ। 2007 के गुजरात विधानसभा चुनाव कोडनानी ने फिर से जीत हासिल की और उन्हें गुजरात सरकार में मंत्री बना दिया गया। नरोदा मामले पर सुप्रीम कोर्ट द्वारा नियुक्त विशेष टीम ने माया को गिरफ्तार कर लिया और 29 अगस्त 2012 में कोर्ट ने उन्हें नरोदा पाटिया नरसंहार का दोषी मान लिया।

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