योगनाथन ने अपनी पूरी जिंदगी में अभी तक 3 लाख से ज्यादा पेड़-पौधे लगाकर ये साबित कर दिया है कि अगर कोई समाज को सुधारने, उसको साफ-सुथरा रखने की इचछा रखता हो तो इसके लिए यह बिल्कुल भी ज़रूरी नहीं है कि वह कोई समाज सेवी हो, बल्कि अपने पेशे के साथ-साथ भी समाज को साफ-सुथरा और हर-भरा रखा जा सकता है।
सीबीएसई की किताबों में ‘ग्रीन योद्धा’ से हैं मशहूर
अपनी इस पहल के जरिए ही योगनाथन सीबीएसई की कक्षा पांचवीं की जनरल नॉलेज की किताब में ‘ग्रीन योद्धा’ के नाम से से मशहूर हो गए हैं। योगानाथन पिछले 18 सालों से तमिलनाडु राज्य सड़क परिवहन निगम (टीएनएसटीसी) के लिए काम कर रहे हैं और मरूधामालाई-गांधीपुरम की 70 नम्बर की बस चलाते हैं। हाल ही में बेंगलुरु के एक आईएएस अफसर ने उनकी फोटो को ट्वीट कर उनके इस काम की सराहना की है।
अपनी इस पहल के जरिए ही योगनाथन सीबीएसई की कक्षा पांचवीं की जनरल नॉलेज की किताब में ‘ग्रीन योद्धा’ के नाम से से मशहूर हो गए हैं। योगानाथन पिछले 18 सालों से तमिलनाडु राज्य सड़क परिवहन निगम (टीएनएसटीसी) के लिए काम कर रहे हैं और मरूधामालाई-गांधीपुरम की 70 नम्बर की बस चलाते हैं। हाल ही में बेंगलुरु के एक आईएएस अफसर ने उनकी फोटो को ट्वीट कर उनके इस काम की सराहना की है।
अपनी पहल को लेकर क्या कहते हैं योगनाथन
पौधे लगाने के अलावा योगनाथन ने वन्यजीव को बचाने और युवाओं के संरक्षण के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए यह सराहनीय प्रयास किया है। योगनाथ बारहवीं पास हैं और पिछले 32 साल से पौधे लगाने का काम कर रहे हैं। योगनाथन ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा है, ”मैं नागपट्टिनम के पास मइलादुथुरई का मूल निवासी हूँ. जब मैने अपनी स्कूल पढ़ाई पूरी की तब वहां मैं नीलगिरी डिस्ट्रिक्ट में सेल्समेन की जॉब करता था तभी से मैं नीलगिरी की सुंदरता से बहुत अधिक प्रभावित होता था। तमिलनाडु ग्रीन मूवमेंट के जयचंद्रन ने उनमें क्रूसेडर का विकास पैदा किया और इस काम को जारी रखने में उनका समर्थन भी किया। जयचंद्रन कोडानड में चाय सम्पदा में काम करते थे इसके बाद, योगनाथन का सिलेक्शन टीएनएसटीसी में एक कंडक्टर के रूप में हो गया और वह कोइमबटूर में शिफ्ट हो गए हालांकि, उन्होंने फिर भी पर्यावरण को बचाने के लिए अपने काम को बिना रोके जारी रखा।
पौधे लगाने के अलावा योगनाथन ने वन्यजीव को बचाने और युवाओं के संरक्षण के बारे में जागरुकता फैलाने के लिए यह सराहनीय प्रयास किया है। योगनाथ बारहवीं पास हैं और पिछले 32 साल से पौधे लगाने का काम कर रहे हैं। योगनाथन ने एक अंग्रेजी अखबार को दिए अपने एक इंटरव्यू में कहा है, ”मैं नागपट्टिनम के पास मइलादुथुरई का मूल निवासी हूँ. जब मैने अपनी स्कूल पढ़ाई पूरी की तब वहां मैं नीलगिरी डिस्ट्रिक्ट में सेल्समेन की जॉब करता था तभी से मैं नीलगिरी की सुंदरता से बहुत अधिक प्रभावित होता था। तमिलनाडु ग्रीन मूवमेंट के जयचंद्रन ने उनमें क्रूसेडर का विकास पैदा किया और इस काम को जारी रखने में उनका समर्थन भी किया। जयचंद्रन कोडानड में चाय सम्पदा में काम करते थे इसके बाद, योगनाथन का सिलेक्शन टीएनएसटीसी में एक कंडक्टर के रूप में हो गया और वह कोइमबटूर में शिफ्ट हो गए हालांकि, उन्होंने फिर भी पर्यावरण को बचाने के लिए अपने काम को बिना रोके जारी रखा।
युवा पीढ़ी के लिए हैं एक आदर्श
वन्यजीव को बचाने के लिए उनका जुनून अभी भी बरकरार है, योगनाथन युवा पीढ़ी के बीच संदेश प्रसार को बढ़ाने में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों और छात्राओं के सम्मेलनों में भाग लेता हूं और पर्यावरण के संरक्षण के बारे में छात्रों को शामिल करने का प्रयास करता रहता हूं।
वन्यजीव को बचाने के लिए उनका जुनून अभी भी बरकरार है, योगनाथन युवा पीढ़ी के बीच संदेश प्रसार को बढ़ाने में विश्वास करते हैं। उन्होंने कहा, ‘मैं विश्वविद्यालयों और कॉलेजों में छात्रों और छात्राओं के सम्मेलनों में भाग लेता हूं और पर्यावरण के संरक्षण के बारे में छात्रों को शामिल करने का प्रयास करता रहता हूं।