ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए बापू के पास था बेहतरीन फॉर्मूला, अब मिलेगा आपको इसका फायदा
राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हाई ब्लड प्रेशर यानी उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे। वो इससे निपटने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लेते थे। अब आपको भी यह फॉर्मूला पता चलेगा।
ब्लड प्रेशर कंट्रोल करने के लिए बापू के पास था बेहतरीन फॉर्मूला, अब मिलेगा आपको इसका फायदा
कुमार कुंदननई दिल्ली। राष्ट्रपिता महात्मा गांधी हाई ब्लड प्रेशर यानी उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे। वो इससे निपटने के लिए प्राकृतिक चिकित्सा का सहारा लेते थे। अब गांधी जी द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली इस चिकित्सा पद्धति का इस्तेमाल आम लोग कर सकें, इसके लिए बापू की 150वीं जयंती पर भारतीय आयुर्विज्ञान अनुसंधान परिषद (आईसीएमआर) ने कदम उठाया है। आईसीएमआर ने बापू की स्वास्थ्य संबंधी आदतों पर किए गए व्यापक अध्ययन में ऐसी कई बातों की जानकारी जुटाई है।
अभी भी पूरी तरह खत्म नहीं हुई धारा 377, यह प्रावधान दिला सकते हैं सजा आईसीएमआर के महानिदेशक डॉ. बलराम भार्गव कहते हैं कि गांधीजी के स्वास्थ्य संबंधी बातें लोगों के लिए उपयोगी हो सकती हैं। इसके लिए इंडियन जनरल ऑफ मेडिकल स्टडीज का विशेष अंक भी निकाला जा रहा है। इसमें स्वास्थ्य देखभाल को लेकर तमाम जरूरी जानकारियां शामिल रहेंगी।
हमेशा गांधी जी का बढ़ा रहता था ब्लड प्रेशर अध्ययन में आईसीएमआर को पता चला है कि गांधीजी उच्च रक्तचाप से पीड़ित थे। उस वक्त इस बीमारी के इलाज के लिए कोई मुफीद दवा नहीं थी। उनके हेल्थ रिकॉर्ड से पता चला है कि गांधीजी सर्पगंधा दवा का सेवन करते थे। सर्पगंधा से उनका उच्च रक्तचाप नियंत्रण में रहता था।
महात्मा गांधी को मिल सकता है अमरीका का सर्वोच्च नागरिक सम्मानएक बार मलेरिया से भी पीड़ित हुए थे गांधी जी महात्मा गांधी के स्वास्थ्य को लेकर उस जमाने में लोग काफी चिंतित रहते थे। यही कारण था कि गांधीजी की सेहत की पाबंदी से नियमित जांच होती थी। डॉक्टरों की एक टीम नियत वक्त पर उनके स्वास्थ्य का बारीकी से अध्ययन करती थी। इस टीम में डॉ. जीवराज मेहता, सुशीला अय्यर और डॉ. मेडॉक शामिल थे। गांधीजी के हेल्थ रिकॉर्ड से पता चलता है कि एक बार उन्हें मलेरिया भी हुआ था। इसके लिए उन्होंने कुनैन की गोली खाई थी।
कुष्ठ निवारण को जन अभियान बनाया गांधी अपनी सेहत को लेकर काफी सजग रहते थे। खूब पैदल चलने की वजह से वे स्वस्थ रहते थे। अपनी बीमारियों के लिए भी वे ज्यादातर प्राकृतिक चिकित्सा पर ही निर्भर रहते थे। उन्होंने कुष्ठ रोग की जागरूकता के लिए बड़ा जन अभियान चलाया था। उस दौरान परचुरे शास्त्री नाम के संस्कृत विद्वान को कुष्ठ रोग हो गया था। इसके चलते उनके इलाज के लिए सेवाग्राम में एक अलग से कुटिया बनाई गई और गांधीजी खुद उनकी देखभाल करते थे।
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