इस मामले में एनआईए मामलों की चतुर्थ अतिरिक्त मेट्रोपोलिटन सत्र सह विशेष अदालत ने सुनवाई पूरी कर ली है। मार्च, 2018 में खबर आई थी कि इस मामले के आरोपी स्वामी असीमानंद की डिस्क्लोजर रिपोर्ट कोर्ट से गायब हो गई है। इसके बाद हड़कंप मच गया था। हालांकि एक दिन बाद दस्तावेज मिल गया था। 2007 में हुए ब्लास्ट में स्थानीय पुलिस ने शुरूआती छानबीन की थी। बाद में इसे सीबीआई को ट्रांसफर कर दिया गया था। सीबीआई ने एक आरोपपत्र दाखिल किया । इसके बाद 2011 में सीबीआई से यह मामला एनआईए के पास भेज दिया गया। इस घटना में 160 चश्मदीद गवाहों के बयान दर्ज किए गए थे। इन बयानों में पीड़ितों के साथ ही आरएसएस प्रचारकों सहित कई लोगों को शामिल किया गया था। आरोपी असीमानंद को अप्रैल, 2017 में कोर्ट ने इस शर्त पर जमानत दी थी कि वह हैदराबाद और सिकंदराबाद नहीं छोड़ सकते।
18 मई, 2007 को जुमे की नमाज के वक्त मोबाइल के जरिए पाइप बम विस्फोट को अंजाम दिया गया था। बम को वजुखाना में संगमरमर की बेंच के नीचे लगाया गया था। ब्लास्ट के समय 5,000 से अधिक लोग मौके पर मौजूद थे। इस धमाके में 9 लोग मारे गए जबकि 58 घायल हुए थे। प्रदर्शन के दौरान पुलिस की फायरिंग में और लोग मारे गए। घटना के बाद जांच के दौरान मक्का मस्जिद में तीन बम और मिले। दो तो वजुखाने के पास मिले और एक बम मस्जिद दीवार के पास। इस मामले में स्थानीय पुलिस और सीबीआई जांच के बाद एनआईए को इसकी जांच सौंप दी गई थी। एनआईए ने असीमानंद और लक्ष्मण दास महाराज जैसे राइट विंग नेताओं समेत कई लोगों को गिरफ्तार किया। मस्जिद ब्लास्ट मामले में दो और मुख्य आरोपी संदीप वी डांगे और रामचंद्र कलसंगरा अभी भी फरार चल रहे हैं। इस मामले में सीबीआई के 54 गवाह अपने बयान से मुकर गए हैं। 13 मार्च, 2018 को डॉक्युमेंट जांच के दौरान असीमानंद की डिस्क्लोजर रिपोर्ट गायब होने की सूचना मिली। हालांकि एक दिन बाद यह क्लोजर रिपोर्ट मिल गई और आज करीब 11 साल बाद ब्लास्ट केस में फैसला सुनाया जाएगा।