कंप्यूटराइज्ड बिलिंग के लिए बार कोडिंग होगी। ई-प्रेसक्रिप्शन को बढ़ावा मिलेगा। उठाए जाएंगे सरकार के ये बड़े कदम
घरेलू दवाओं की गुणवत्ता विश्वस्तरीय बनाई जाएगी। शोध के लिए सुविधाएं बढ़ाई जाएंगी और मार्केटिंग के गलत तरीकों पर लगाम लगाई जाएगी। फिक्स्ड डोज दवाओं पर ब्रांड का नाम होगा और दूसरी दवाओं पर सिर्फ जेनेरिक नाम होगा।
दवा नीति के लिए बनाए गए ड्राफ्ट में स्टॉकिस्ट, डिस्ट्रीब्यूटर और खुदरा विक्रेताओं द्वारा बड़े पैमाने पर व्यापारिक मुनाफे और बोनस ऑफर को उजागर किया है जो इस दवा उद्योग व उपभोक्ताओं को नुकसान पहुंचाता है। नई दवा नीति के अनुसार, संबंधित संगठनों से विस्तृत बातचीत के बाद दवाओं की कीमतों में कमी लाने के लिए मुनाफे के स्तर को तय किया जाएगा। दवा निर्माताओं या वितरकों या खुदरा विक्रेताओं से सीधे आपूर्ति प्राप्त करने वाले संस्थानों के भी व्यापारिक मुनाफे को भी सुधारों के तहत शामिल किया जाएगा।
वहीं देश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल एम्स ने गरीब मरीजों को एक बड़ी राहत दी है। स्वतंत्रता दिवस के मौके पर एम्स की ओर जारी बयान के मुताबिक अब 500 रुपए से कम कीमत वाले टेस्ट मुफ्त होंगे। जल्द ही एम्स प्रशासन की ओर से स्वास्थ्य मंत्रालय को इस संबंध में प्रस्ताव भेजा जाएगा। एम्स द्वारा यह फैसला 15 डॉक्टरों की एक कमेटी की रिपोर्ट के आधार पर लिया गया है। जो मरीरों को होने वाली परेशानियों का अध्य्यन करने के लिए बनाई गई थी। इस कमेटी ने कहा कि इलाज से पहले होने वाले जांच के लिए मरीज के परिजनों को घंटों लाइन में खड़े होना पड़ता है। जिससे मरीज की जान पर खतरा बना रहता है।