अमीर घरों की महिला बनी है भिखारी जेल सुप्रिटेंडेंट राव ने मीडिया से बताया कि हमने जब भिखारियों का इतिहास जानने का प्रयास किया तो उसमें दो महिला हमारे स्टॉफ के साथ अच्छी अंग्रेजी बोल रही थी और भिखारी की तरह नहीं लग रही थी। यह देखकर हम हैरान रह गए। जब हमने इनके बारे में पता किया तो दोनों पढ़ी लिखी और रसूखदार घरों से ताल्लुक रखने वाली मालूम पड़ी।
लंदन में रहती है फर्जोना 50 वर्षीय फर्जोना ने बताया कि वह बिजनेस स्टडीज में पोस्ट ग्रेजुएट है और लंदन में अकाउंटेंट काम कर चुकी हैं। फिलहाल उसका बेटा अमरीका में आर्किटेक्ट है। उसका दावा है कि वो कुछ साल पहले ही भारत आई है। पुलिस अधिकारी राव ने बताया कि महिला का शहर के पॉश इलाके आनंदबाग में बड़ासा अपार्टमेंट है।पति की मौत के बाद पिछले कुछ सालों से वह मानसिक तौर पर वह बीमार चल रही है। और दरगाह में बाबा के कहने पर भीख मांग रही है। हालांकि पुलिस ने अमरीका में रह रहे बेटे से संपर्क किया तो पता चला कि वह अपनी मां की खोज में हैदराबाद आया था लेकिन मां नहीं मिली। जिसपर पुलिस ने एफिडेविट भरवाकर उसे उसी शाम को मां को बेटे के हाथ में सौंप दिया।
जमीन विवाद में पागल बनी है राबिया वहीं, डिफेन्स कॉलोनी की रहने वाली दूसरी महिला राबिया बसीरा जेल लाए जाने पर जेल अधिकारियों से झगड़ पड़ी। उसका कहना है कि अमरीका में वह ग्रीन कार्ड होल्डर है और हैदराबाद में उसकी काफी ज्यादा संपत्ति है। उसके भाइयों ने उसे जमीन से बेदखल कर दिया। वह अपनी संपत्ति के लिए लड़ते हुए मानसिक संतुलन खो बैठी। मन की शान्ति के लिए वह दरगाह में भीख मांग रही थी। 44 साल की राबिया को पुलिस ने उसके परिवार वालों को सौंप दिया है।
28-30 नवंबर को इवांका का दौरा गौरतलब है कि अमरीकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की बेटी इवांका ट्रंप का हैदराबाद दौरा 28 से 30 नवंबर के बीच है। इवांका ट्रंप यहां वैश्विक उद्यमिता शिखर सम्मेलन में हिस्सा लेने के लिए आ रही हैं। इवांका के दौरे को लेकर पुलिस प्रशासन ने हैदराबाद शहर से भिखारियों के खिलाफ मुहिम छेड़ रखी है। पुलिस ने भिखारियों को जेल में शिफ्ट कर दी है। पुलिस प्रशासन ने इवांका के दौरे के समय नगर की अंतरराष्ट्रीय साख को पेश करने की तैयारियों के तहत सड़कों पर भीख मांगने और फुटपाथ पर सोना जनवरी तक प्रतिबंधित कर दिया है।तेलंगाना सरकार ने अगले दो महीनों के लिए हैदराबाद की दो जेलों में इन लोगों के लिए “विशेष आश्रय कक्ष” बनाए हैं जिनको “आनंद आश्रम” का नाम दिया गया है। यहां पर इन्हें दो से तीन बार भोजन के साथ-साथ कपड़े भी दिए जा रहे हैं।
बेहतर जिंदगी देने की कोशिश जेल अधिकारियों ने यह भी बताया कि यहां इनको लिखना-पढ़ना भी सिखाया जा रहा है। इसके अलावा उनकी काउंसिलिंग की व्यवस्था भी की जा रही है। जेल विभाग का कहना है कि इऩ भिखारियों को दो महीने में विभिन्न क्षेत्रों में काम करने के लिए विधिवत प्रशिक्षण भी दिया जाएगा, ताकि वे जेल से रिहा होने के बाद भीख मांगना छोड़ कर सम्मान की जिंदगी जी सकें।