आयकर विभाग के अधिकारियों का कहना है कि उनके पास वो दस्तावेज हैं, जिनसे पता चलता है कि शिवकुमार ने कथित तौर पर मैसूर शाही परिवार की सदस्य विशालाक्षी देवी से संबंधित विवादित भूमि का हिस्सा खरीदने के लिए एक रिश्तेदार सहित दो लोगों का इस्तेमाल किया था। आयकर विभाग ने बताया है कि इस डील से पहले ही 5 करोड़ रुपए की रकम दे दी गई थी।
संपत्ति की मालकिन विशालाक्षी देवी की याचिका के जवाब में विभाग ने कहा कि यह साफ हो चुका है कि शिवकुमार के भाई शशिकुमार ने चंद्रशेखर सुखपुरी के जरिए लेन-दिन किया। बताया जा रहा है कि याचिकाकर्ता को 1 करोड़ रुपये का भुगतान चेक के जरिए किया गया था। वहीं आयकर विभाग की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि शशिकुमार, चंद्रशेखर और विशालाक्षी ने शिवकुमार के मामले में जुड़े होने की बात बताई है। चंद्रशेखर ने मंत्री के निजी सचिव श्रीधर और निजी सहायक शिव शंकर से 4 करोड़ रुपये लेने की बात भी स्वीकार ली है।
इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान आयकर विभाग ने बताया कि शशिकुमार और चंद्रशेखर अपनी रकम के बारे में कोई पुख्ता जानकारी नहीं दे पाए हैं, इसलिए ये साफ है कि पैंसों के अवैध लेन-देन में शिवकुमार का हाथ था। यह भी कहा गया है कि 28 जून के एमओयू में मासिक किराए का कोई जिक्र नहीं है। न ही उसमें संपत्ति के हस्तांतरण की बात कही गई है। इससे भी बेनामी डील होने की बात का पता चलता है। विभाग ने बताया कि शिवकुमार से सवाल करने पर उन्होंने खुद को बेकसूर बताते हुए इसके पीछे सचिन नारायण का हाथ होने की बात कही है।