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सितंबर में बनाई थी मुर्ती
गंगा जमुनी तहजीब तो दर्शाते हुए नूरुद्दीन अहमद ने सितंबर 2019 में इस प्रतिमा का निर्माण किया था। इस प्रतिमा की उंचाई 98 फीट है। बता दें कि जिस समय इस मूर्ती का निर्माणा किया गया उस समय इसने काफी सुर्खियां बटोरी थी।
कौन हैं अहमद?
अहमद गुवाहाटी के काहिलीपाड़ा इलाके के रहने वाले हैं। अहमद बताते हैं कि बहुत सारे लोग उनके काम की तारीफ करते हैं और लेकिन उन्हें परेशान नहीं करते। उन्होंने बताया कि कुछ लोग अक्सर उनसे पूछते हैं कि क्या मेरा धर्म मेरे काम में रोड़ा नहीं बनता? इस पर उन्होंने कहा कि इस काम में धर्म की बात कहां से आ जाती है? शिल्पियों (कलाकारों) का कोई धर्म नहीं होता। बता दें कि सितंबर 2017 में हिंदू-मुसलमान,दोनों ही समुदाय के 40 लोगों ने मिलकर विशाल प्रतिमा बनाई, जिसे देखने के लिए लाखों लोग आए थे।जानकर हैरानी होगी की अहमद ने यह प्रतिमा महज 7 दिन में बनाई थी।अहमद ने बताया कि इसे बनाने में हमने 40 दिन लिया था। यह 17 सितंबर तक तैयार था। लेकिन तूफान आने की वजह से दुर्गा पूजा के हफ्ते भर पहले यह तबाह हो गया, जिसके बाद हमे इसे फिर से इसे शुरुआत से बनाना पड़ा।
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लिम्का बुक ऑफ रिकॉर्ड्स
बता दें कि अहमद को मूर्ती के लिए लिम्का अधिकारियों की ओर से चिट्ठी पिछले महीने ही मिल गई थी। लेकिन उन्होंने इस खबर को बुधवार को फेसबुक के जरिए सार्वजनिक किया। अहमद गुवाहाटी के सबसे बड़े दुर्गा पंडालों के आर्ट डायरेक्शन का भी काम देखते हैं। अहमद अपने काम के लिए बांस का इस्तेमाल करते हैं। आपको बता दें कि असम में स्वभाविक तौर पर बांस उपलब्ध हो जाता। यही वजह है कि वह इसे प्रमोट करना चाहते हैं।